नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के प्रोफेसर इकबाल हुसैन की याचिका पर विश्वविद्यालय से बुधवार को जवाब तलब किया।
हुसैन ने अपनी याचिका में एकल न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके जरिये विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति और इसके बाद कार्यवाहक कुलपति के तौर पर उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गयी थी।
न्यायमूर्ति विभु बाखरू की अध्यक्षता वाली पीठ ने एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ हुसैन की अपील पर जेएमआई को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई की तिथि 12 अगस्त तय की।
अदालत ने कहा, ‘‘यदि आवश्यक हो तो प्रतिवादी को जवाबी हलफनामा दायर करने की छूट है।’’
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 22 मई को मोहम्मद शमी अहमद अंसारी और अन्य की याचिकाओं पर विचार करते हुए प्रोफेसर हुसैन की जामिया के प्रतिकुलपति और बाद में कार्यवाहक कुलपति के रूप में नियुक्ति को रद्द कर दिया था और कहा था कि ये नियुक्तियां प्रासंगिक कानून के अनुरूप नहीं की गई थीं।
आदेश के कुछ ही घंटों बाद विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर मोहम्मद शकील को कार्यवाहक कुलपति नियुक्त कर दिया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से इस मामले में उन्हें अंतरिम राहत देने का आग्रह किया।
पीठ ने हालांकि अपील पर ऐसा कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और कहा, ‘‘हम ऐसे व्यक्ति के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे जो पहले से ही पद पर है।’’
एकल न्यायाधीश ने निर्देश दिया था कि कार्यवाहक कुलपति के पद पर एक सप्ताह के भीतर नई नियुक्ति की जाए तथा ‘विजिटर’ यानी भारत की राष्ट्रपति से कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति करने को कहा था।
हुसैन ने प्रो. शकील की कार्यवाहक कुलपति के रूप में नियुक्ति के खिलाफ एक अलग याचिका दायर की है।
हुसैन ने अपनी याचिका में कहा है कि नयी नियुक्ति उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है, जिसने ‘स्पष्ट रूप’ से ‘विजिटर’ से कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति करने को कहा था।
जामिया की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और वकील प्रीतीश सभरवाल ने मंगलवार को अदालत को सूचित किया था कि ‘विजिटर’ द्वारा नामित व्यक्तियों ने उस बैठक में भाग लिया, जिसमें सबसे वरिष्ठ प्रो. शकील की नियुक्ति का फैसला किया गया था और इस मामले पर ‘विजिटर’ द्वारा विचार किया जा रहा है।
भाषा
देवेंद्र सुरेश
सुरेश
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