जयशंकर ने म्यांमा के अपने समकक्ष से मुलाकात की, भारत की सीमा पर हिंसा को लेकर जताई चिंता |

जयशंकर ने म्यांमा के अपने समकक्ष से मुलाकात की, भारत की सीमा पर हिंसा को लेकर जताई चिंता

जयशंकर ने म्यांमा के अपने समकक्ष से मुलाकात की, भारत की सीमा पर हिंसा को लेकर जताई चिंता

:   Modified Date:  June 26, 2024 / 07:23 PM IST, Published Date : June 26, 2024/7:23 pm IST

नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने म्यांमा के अपने समकक्ष यू थान श्वे से बुधवार को हुई मुलाकात के दौरान पड़ोसी देश में हिंसा एवं अस्थिरता का असर भारतीय सीमा पर पड़ने को लेकर भारत की चिंता साझा की और म्यावाडी शहर में फंसे भारतीयों को यथाशीघ्र वापस लाने में सहयोग की मांग की।

जयशंकर ने थान श्वे से नयी दिल्ली में मुलाकात की, जो अपनी एक यात्रा के दौरान यहां रुके थे। वह म्यांमा के उपप्रधानमंत्री भी हैं।

मुलाकात के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने म्यांमा में भारत की चल रही परियोजनाओं की ‘विश्वसनीय सुरक्षा’ के लिए जोर दिया और पड़ोसी देश के लोकतांत्रिक पथ पर यथाशीघ्र लौटने की अपील की।

जयशंकर ने पड़ोसी देश में जारी हिंसा और अस्थिरता का भारत-म्यांमा सीमा पर विशेष रूप से होने वाले असर को रेखांकित किया।

म्यांमा के कई हिस्सों में सैन्य जुंटा और विद्रोही बलों के बीच लड़ाई चल रही है। विद्रोही बलों ने पहले ही कई शहरों पर कब्जा कर लिया है। जुंटा-रोधी (सैन्य शासन विरोधी) बलों ने अप्रैल में कई सैन्य ठिकानों और म्यावाडी के कमान केंद्र पर कब्जा कर लिया था।

जयशंकर ने बैठक में थान श्वे को यह भी बताया कि भारत, म्यांमा की स्थिति से निपटने के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत को तैयार है।

जयशंकर ने पोस्ट किया, ‘‘म्यांमा के उपप्रधानमंत्री-सह-विदेश मंत्री यू थान श्वे आज नयी दिल्ली से गुजर रहे थे और इस दौरान उनसे मुलाकात की। इस दौरान हमारी सीमा से लगते म्यांमा में जारी हिंसा और अस्थिरता के प्रभाव को लेकर हमारी गहरी चिंता पर चर्चा हुई। भारत इस स्थिति से निपटने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘(मैंने) प्राथमिकता वाली चुनौतियों को उठाया, खासतौर पर अवैध मादक पदार्थ, हथियारों की तस्करी और मानव तस्करी। म्यावाडी में फंसे भारतीय नागरिकों की यथाशीघ्र वापसी के लिए सहयोग भी मांगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘म्यांमा में चल रही हमारी परियोजनाओं के लिए विश्वसनीय सुरक्षा की मांग की गई। म्यांमा से लोकतांत्रिक परिवर्तन के रास्ते पर शीघ्र लौटने का आग्रह किया गया। भारत किसी भी तरह से मदद के लिए तैयार है।’’

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश

 

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