जैन समुदाय स्कोल्ज की भारत यात्रा के दौरान अरिहा पर सकारात्मक नतीजे की कर रहा है उम्मीद |

जैन समुदाय स्कोल्ज की भारत यात्रा के दौरान अरिहा पर सकारात्मक नतीजे की कर रहा है उम्मीद

जैन समुदाय स्कोल्ज की भारत यात्रा के दौरान अरिहा पर सकारात्मक नतीजे की कर रहा है उम्मीद

:   Modified Date:  October 24, 2024 / 05:25 PM IST, Published Date : October 24, 2024/5:25 pm IST

अहमदाबाद, 24 अक्टूबर (भाषा) जैन समुदाय उम्मीद कर रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के बीच मुलाकात से अरिहा शाह की वापसी का रास्ता साफ हो जाएगा। एक जैन नेता ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।

अरिहा पर मामूली शारीरिक उत्पीड़न के आरोपों के बाद वह तीन साल से ज़्यादा समय से जर्मनी में बाल सेवा केंद्र में है। उसके माता-पिता भावेश और धारा शाह जैन हैं और मूल रूप से महाराष्ट्र के ठाणे जिले के रहने वाले हैं।

‘सेव अरिहा’ अभियान का नेतृत्व कर रहे यतीन शाह ने कहा कि बृहस्पतिवार से शुरू हो रही स्कोल्ज़ की भारत यात्रा से पहले इस मुद्दे पर भारत में जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन के बयान के बाद समुदाय को उम्मीद है कि इसका सकारात्मक परिणाम आएगा। अब अरिहा साढ़े तीन साल की हो गयी है।

शाह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जैन समुदाय की एकमात्र मांग है कि अरिहा को वापस लाया जाए क्योंकि जब वह केवल सात महीने की थी तभी उसे जर्मनी में उसके माता-पिता से दूर ले जाया गया था । हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चांसलर स्कोल्ज़ के बीच बैठक के दौरान सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि मोदी भारत की बेटी को वापस लाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि जर्मन सरकार को भी यह समझना चाहिए कि इंसाफ में देरी इंसाफ से वंचित रखना है।

शाह ने कहा, ‘‘ राजदूत एकरमैन को यह नहीं भूलना चाहिए कि एक मासूम भारतीय बच्ची पिछले तीन सालों से बिना किसी वैध और तार्किक कारण के जेल में है और उसके सभी सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई अधिकारों का उनका जर्मन बाल सेवा केंद्र उल्लंघन कर रहा है। हमने पहले ही विदेश मंत्रालय को बता दिया है कि अरिहा जर्मनी में खतरे में है और उसके लिए हर दिन महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि जैन समुदाय शीघ्र ही इस बात का ब्योरा साझा करेगा कि ‘जर्मनी में कैसे उसके साथ अमानवीय बर्ताव किया जा रहा है और उसके मूल अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।’’

एकरमैन ने दिल्ली में 23 अक्टूबर को संवाददाताओं से कहा था कि जर्मन अधिकारी अरिहा के मामले में भारत के विदेश मंत्रालय के ‘करीबी संपर्क’ में हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या जर्मन चांसलर की यात्रा के दौरान अरिहा के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ देखभाल करने वाले माता-पिता ने स्पष्ट रूप से इस सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर विचार करने की प्रतिबद्धता जताई है और इस आधार पर हम बच्चे के भविष्य के वास्ते एक संतोषजनक समाधान खोजने के लिए काम करना जारी रखेंगे।’’

उन्होंने कहा,‘‘इसलिए, इसे (इस मुद्दे को) उठाया जा सकता है। इसकी स्पष्ट संभावना है कि इसे उठाया जा सकता है और मुझे लगता है कि मेरा पक्ष, मेरी सरकार तैयार है…।’’

अरिहा शाह को 23 सितंबर, 2021 को जर्मनी के युवा कल्याण कार्यालय (जुगेंडमट) के संरक्षण में डाल दिया गया था, क्योंकि उस समय सात महीने की इस बच्ची को दुर्घटनावश चोट लग गई थी। उसका जन्म 2021 में बर्लिन में हुआ था, जहां उसके पिता 2018 में अपनी पत्नी के साथ रहने को गये थे। उसके पिता एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।

भाषा राजकुमार माधव

माधव

 

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