बांग्लादेश की जेल में बंद हिंदू संत के वकील रवींद्र घोष इलाज के लिए कोलकाता पहुंचे |

बांग्लादेश की जेल में बंद हिंदू संत के वकील रवींद्र घोष इलाज के लिए कोलकाता पहुंचे

बांग्लादेश की जेल में बंद हिंदू संत के वकील रवींद्र घोष इलाज के लिए कोलकाता पहुंचे

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Modified Date: December 16, 2024 / 01:06 PM IST
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Published Date: December 16, 2024 1:06 pm IST

कोलकाता, 16 दिसंबर (भाषा) बांग्लादेश की जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास का बचाव कर रहे प्रमुख बांग्लादेशी वकील रवींद्र घोष अपने इलाज के लिए इस समय कोलकाता के पास बैरकपुर में हैं। घोष के बेटे ने सोमवार को यह जानकारी दी।

रवींद्र घोष अपनी पत्नी के साथ रविवार शाम को भारत पहुंचे और वह अपने बेटे राहुल घोष के साथ रह रहे हैं। भारत में पले-बढ़े राहुल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कई वर्षों से पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर में रह रहे हैं।

राहुल घोष ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मेरे पिता कल शाम मेरी मां के साथ यहां आए और फिलहाल हमारे साथ रह रहे हैं। वह तीन साल पहले एक दुर्घटना का शिकार हुए थे और इलाज के लिए वह अक्सर भारत आते रहते हैं।’’

राहुल ने अपने पिता की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और उनसे कुछ समय के लिए भारत में ही रहने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने पिता से अनुरोध किया है कि वह बांग्लादेश वापस न लौटें और कुछ समय के लिए हमारे साथ ही रहें लेकिन वह चिन्मय दास प्रभु के मामले में उनकी पैरवी करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं और इसलिए वह अपनी बात पर अड़े हुए हैं और वापस जाना चाहते हैं। हम उनकी सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हैं।’’

बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास को इस महीने की शुरुआत में एक रैली के लिए चटगांव जाते समय ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया गया था। बांग्लादेश की एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया और दो जनवरी तक जेल भेज दिया।

चिन्मय का सक्रिय रूप से बचाव कर रहे रवींद्र घोष ने पहले कहा था, ‘‘चूंकि मैं चिन्मय दास प्रभु का बचाव कर रहा हूं, इसलिए मुझे पता है कि मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा सकते हैं और मेरी जान को भी खतरा है।’’

बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल के बीच हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं बढ़ गई हैं। छात्र आंदोलन के कारण शेख हसीना के पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा के मामले बढ़े हैं और उन्हें विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ा है।

भाषा

सिम्मी नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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