Article 370: आखिर क्यों जरूरी था RSS के लिए अनुच्छेद 370 का मुद्दा? 2024 से पहले इन दो मामलों पर लगा 'सुप्रीम' का मुहर | Article 370 issue was successful for RSS

Article 370: आखिर क्यों जरूरी था RSS के लिए अनुच्छेद 370 का मुद्दा? 2024 से पहले इन दो मामलों पर लगा ‘सुप्रीम’ का मुहर

Article 370 issue was successful for RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रारंभ से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करता रहा है।

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Modified Date: December 12, 2023 / 02:42 PM IST
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Published Date: December 12, 2023 2:42 pm IST

Article 370 issue was successful for RSS: नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाये जाने की वैधता को बरकरार रखने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने वाला बताया है। RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बयान जारी कर कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 370 समाप्त करने को वैधता प्रदान करना स्वागत योग्य है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस निर्णय का स्वागत करता है।

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RSS के लिए अनुच्छेद 370 का मुद्दा था अहम

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की मांग सबसे पहले जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी। इसके लिए वह जीवन के अंतिम क्षणों तक संघर्ष करते रहे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अनुच्छेद 370 हटने पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार किया है। अब पूरे देश में एक विधान, एक निशान व एक प्रधान का नारा सही मायने में फलीभूत हुआ है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रारंभ से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करता रहा है। संघ ने इस विषय पर कई प्रस्ताव पारित किए तथा समस्त आंदोलनों में सहभाग किया है। यह निर्णय राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा। अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में वर्षों से अन्याय सह रहे लोगों को इस निर्णय से मुक्ति मिली है। आपको बता दें कि RSS के लिए अनुच्छेद 370 का मुद्दा राम मंदिर से भी पुराना है और यह मुद्दा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए बहुत महत्व रखता है, क्यों कि वे चाहते हैं कि देश में एकता बनी रहे।

आरएसएस के साथ-साथ मोदी सरकार के लिए भी जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बड़ी जीत है। एक देश, एक विधान, एक संविधान का सपना जनसंघ से बीजेपी तक से जुड़ा रहा। इस पर अब सुप्रीम मुहर लग गई है। वहीं, 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के साथ ही संघ का दोहरा लक्ष्य पूरा हो रहा है। कश्मीर को एक एकीकृत क्षेत्र के रूप में देखना और मंदिर निर्माण का सपना साकार हो गया है।

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राम मंदिर से भी पुराना है संघ का ये मुद्दा

आपको बता दें कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस को मजबूत बनाया, जो 1947 आजादी के बाद भी जारी रहा और कांग्रेस का एकछत्र राज पूरी तरह कायम रहा। इसका नतीजा यह रहा कि हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी विचारधारा को साकार करने के लिए भारतीय राजनीति में जगह नहीं स्थापित कर पा रहे थे।

जनसंघ के जमाने से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाना एजेंडा में शामिल रहा था, जिसे बीजेपी ने अपनी बुनियाद पड़ने के साथ ही अपना लिया था और राम मंदिर के मुद्दे को बीजेपी ने अधिकारिक तौर पर अपने चुनावी घोषणापत्र में 1989 के पालमपुर अधिवेशन में शामिल किया था। इस तरह राम मंदिर से भी पहले संघ का मुद्दा धारा 370 था।

Article 370 issue was successful for RSS: जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना जम्मू-कश्मीर को एकीकृत करने का था, जिसमें उन्होंने नारा दिया था, ‘एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं हो सकते.’ अब भारत के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखने के साथ सच हो गया है।

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