बेंगलुरु। ISRO GSLV-F15 Mission : भारत लगातार अंतरिक्ष की दुनिया में अपनी ताकत दिखाता जा रहा है। भारत ने पिछले 1 साल में कई मिशन सफलता पूर्वक लॉन्च किए हैं। तो वहीं अब एक बार फिर भारत अपनी एक नई ताकत अंतरिक्ष में दिखाने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 29 जनवरी को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपना 100वां उपग्रह प्रक्षेपित करेगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। एजेंसी जीएसएलवी-एफ15 एनवीएस-02 मिशन के प्रक्षेपण की तैयारी कर रही है।
इसरो ने एक बयान में कहा कि स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ जीएसएलवी-एफ15 एनवीएस-02 उपग्रह को भूसमकालिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित करेगा और प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से किया जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एनवीएस-02 में सटीक समय अनुमान के लिए स्वदेशी और खरीदी गई परमाणु घड़ियों के संयोजन का उपयोग किया गया है। इसरो ने कहा कि जीएसएलवी-एफ15 भारत के भूसमकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) की 17वीं उड़ान और स्वदेशी क्रायो चरण के साथ 11वीं उड़ान है।
एनवीएस-02, एनएवीआईसी उपग्रहों की नई पीढ़ी का हिस्सा है जो मई 2023 में लॉन्च किए गए एनवीएस-01 की श्रेणी में शामिल हो रहा है। 2250 किलोग्राम के लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान और लगभग 3 किलोवाट की पावर हैंडलिंग क्षमता वाले एनवीएस-02 को एल1, एल5 और एस बैंड को कवर करने वाले उन्नत नेविगेशन पेलोड के साथ डिज़ाइन किया गया है। इसके अतिरिक्त, यह अपने पूर्ववर्ती एनवीएस-01 के समान सी-बैंड में रेंजिंग पेलोड से लैस है। यह उपग्रह 111.75 ई स्थिति पर आईआरएनएसएस-1ई की जगह लेगा, जिससे एनएवीआईसी प्रणाली की सटीकता और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
यू आर सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में विकसित और एकीकृत एनवीएस-02 उपग्रह प्रक्षेपण के लिए अपनी तत्परता सुनिश्चित करने के लिए थर्मोवैक और गतिशील परीक्षणों सहित व्यापक परीक्षण से गुजरा है। इसे पांच जनवरी, 2025 को एसडीएससी शार के लिए रवाना किया गया था और वर्तमान में यह प्रक्षेपण-पूर्व अभियान गतिविधियों से गुजर रहा है। उपग्रह को जनवरी 2025 में प्रक्षेपित किया जाना है जो भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
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