बेंगलुरु। ISRO New Mission SpaDeX Update : इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यान को ‘डॉक’ (एक यान से दूसरे यान के जुड़ने)करने और ‘अनडॉक’(अंतरिक्ष में जुड़े दो यानों के अलग होने) करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी का विकास और प्रदर्शन करना है। ISRO ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, प्रक्षेपण यान को एकीकृत कर दिया गया है और अब उपग्रहों को इसपर स्थापित करने तथा प्रक्षेपण की तैयारियों के लिए इसे पहले ‘लांचिंग पैड’ पर ले जाया गया है।
🚀 PSLV-C60/SPADEX Update:
The launch vehicle has been integrated and now moved to the First Launch Pad, for further integration of satellites and launch preparations.
Stay tuned for updates on #PSLV-C60 and watch this space for exciting info on the upcoming PSLV-C60/SPADEX… pic.twitter.com/HNUW1SnUdG
— ISRO (@isro) December 21, 2024
ISRO New Mission SpaDeX Update : ISRO के मुताबिक,‘स्पैडेक्स’ मिशन, पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके ‘अंतरिक्ष में डॉकिंग’ के प्रदर्शन के लिए लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है। ISRO ने कहा कि यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे कि चंद्रमा पर भारत का अभियान, चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र(बीएएस) का निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक है।
अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी की तब जरूरत होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है। इस मिशन में सफलता मिलने पर भारत अंतरिक्ष ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर अग्रसर होगा। इसरो के मुताबिक स्पैडेक्स मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक का वजन लगभग 220 किग्रा) पीएसएलवी-सी60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किये जाएंगे, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा।
‘स्पेस डॉकिंग’ एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए अंतरिक्ष में ही दो स्पेसक्राफ्ट को जोड़ा जाता है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में भेज पाना संभव होता है। इसलिए स्पेस डॉकिंग अंतरिक्ष स्टेशन के संचालन के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। डॉकिंग में अंतरिक्ष यान अपने आप ही स्टेशन से जुड़ सकता है। अंतरिक्ष में दो अलग-अलग चीजों को जोड़ने की यह तकनीक ही भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में और चंद्रयान-4 परियोजना में मदद करेगी।
ISRO New Mission SpaDeX Update: स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य क्या है?
स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रौद्योगिकी का विकास और प्रदर्शन करना है, जिससे भारत भविष्य में अपने अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्र मिशनों में सफलता प्राप्त कर सके।
स्पेस डॉकिंग तकनीक क्या होती है और क्यों महत्वपूर्ण है?
स्पेस डॉकिंग तकनीक के जरिए दो अंतरिक्ष यान एक दूसरे से जुड़ते हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष स्टेशन के संचालन के लिए आवश्यक है और इससे मानव को एक यान से दूसरे यान में भेजना संभव होता है।
स्पैडेक्स मिशन के तहत कितने अंतरिक्ष यान भेजे जाएंगे?
स्पैडेक्स मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान, जिनका वजन लगभग 220 किग्रा है, पीएसएलवी-सी60 रॉकेट द्वारा प्रक्षिप्त किए जाएंगे।
भारत स्पैडेक्स मिशन में सफल होने के बाद क्या हासिल करेगा?
यदि स्पैडेक्स मिशन सफल होता है, तो भारत अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
स्पैडेक्स मिशन से भारत को किस तरह के अंतरिक्ष अभियानों में मदद मिलेगी?
स्पैडेक्स मिशन से भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने, चंद्रयान-4 परियोजना में मदद और चंद्रमा से नमूने वापस लाने में सहायता मिलेगी।