Launch Date of Mission 'Chandrayaan-4'

Launch Date of Mission ‘Chandrayaan-4’ : अंतरिक्ष की ‘महाशक्ति’ बनेगा भारत..! ‘चंद्रयान-4’ लॉन्च करने की तैयारी में ISRO, चुनौतियों से भरा होगा ये ‘मिशन’

Launch Date of Mission 'Chandrayaan-4' : ISRO प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक चंद्रयान-4 को दो भागों में लॉन्च किया जाएगा।

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Modified Date: June 28, 2024 / 04:05 PM IST
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Published Date: June 28, 2024 4:05 pm IST

Launch Date of Mission ‘Chandrayaan-4’ : नई दिल्ली। भारत अंतरिक्ष की दुनिया में अपने पैर पसारता जा रहा है। चंद्रयान-3 की चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की सफलता के बाद अब एक और इतिहास रचने के मार्ग पर काम कर रहा है। ISRO भारत के चौथे मून मिशन को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियों में जुट गया है। ISRO प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक चंद्रयान-4 को दो भागों में लॉन्च किया जाएगा।

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Launch Date of Mission ‘Chandrayaan-4’ : इसरो चीफ सोमनाथ ने इंडिया स्‍पेस कांग्रेस 2024 में यह बात कही। उन्‍होंने कहा कि चंद्रयान-4, चांद से सैंपल लेकर आएगा। गौरलतब है कि इसी सप्‍ताह चीन का चांगई 6 मिशन चंद्रमा से 2 किलो सैंपल लेकर पृथ्‍वी पर पहुंचा है। उसने सैंपल चंद्रमा के सुदूर इलाके से जुटाए जो हमारी पृथ्‍वी से नहीं दिखता। चांद के सुदूर हिस्‍से से सैंपल लाने वाला चीन दुनिया का पहला देश बन गया है।

बहरहाल, भारत के चंद्रयान-4 मिशन की बात करें तो इसरो चीफ का कहना है कि मिशन को एक बार में लॉन्च नहीं किया जाएगा। स्‍पेसक्राफ्ट के तमाम पार्ट्स को दो लॉन्‍च के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और चांद पर लैंडिंग कराने से पहले स्‍पेसक्राफ्ट के पार्ट्स अंतरिक्ष में जोड़े जाएंगे।

इन दो रॉकेट का होगा इस्तेमाल

चंद्रयान-4 मिशन में इसरो अपने एलवीएम-3 और पीएसएलवी दोनों रॉकेट का इस्तेमाल करेगा। पहले एलवीएम-3 लॉन्च व्हीकल प्रोपल्शन मॉड्यूल, डिसेंडर मॉड्यूल और असेंडर मॉड्यूल को लेकर उड़ान भरेगा। इसके बाद ट्रांसफर मॉड्यूल और रि-एंट्री मॉड्यूल को लेकर पीएसएलवी लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन को लेकर इसरो आने वाले दिनों में और ज्यादा जानकारी देगा।

 

दो हिस्‍सों में लॉन्‍च होगा मिशन?

इसरो का कहना है कि चंद्रयान-4 की वजन क्षमता इसरो के पास मौजूद सबसे पावरफुल रॉकेट से ज्‍यादा हो सकती है। इस वजह से मिशन को दो हिस्‍सों में लॉन्‍च करने की तैयारी है। ऐसा होता है तो यह दुनिया का पहला मिशन होगा, जिसे दो भागों में उड़ाया जाएगा और स्‍पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा।

अगर यह मिशन सफल होता है तो इसरो दुनिया में इतिहास रच देगा। इसरो चीफ ने यह भी बताया है कि मिशन का मकसद चंद्रमा से सैंपल लेकर वापस आना है। इसरो फ‍िलहाल इस बात पर काम कर रहा है कि स्‍पेस में स्‍पेसक्राफ्ट को कैसे जोड़ा जाएगा। मिशन लॉन्‍च करने से पहले इसरो इस क्षमता को दूसरे मिशन के जरिए कन्‍फर्म करना चाहेगा। बता दें कि अभी तक दुनिया के तीन देश- अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा से सैंपल लेकर वापस आ पाए हैं। भारत भी ऐसा कर लेता है, तो उसकी उपलब्‍धि एकदम अलग होगी।

 

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