भुवनेश्वर, 10 नवंबर (भाषा) ओडिशा सरकार और पुरी के गजपति महाराज को भारत के बाहर निर्धारित समय के इतर रथयात्रा आयोजित नहीं करने का आश्वासन दिए जाने के बावजूद, इस्कॉन ने नौ नवंबर को ह्यूस्टन में इसका आयोजन किया।
इस्कॉन ने भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और सुदर्शन चक्र के बिना भगवान जगन्नाथ के ‘नंदीघोष’ रथ की प्रतिकृति के साथ ‘आनंद उत्सव’ के तहत ‘रथ यात्रा’ का आयोजन किया जिसे लेकर ओडिशा में भक्तों और प्राधिकारियों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
इस घटना की पुरी गोवर्धन पीठ के प्रवक्ता मातृ प्रसाद मिश्रा ने आलोचना की है। उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए इसे ‘‘हमारे धर्म के खिलाफ एक साजिश’’ बताया और भारत में अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की।
विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने रविवार को कहा कि पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन इस मामले पर निर्णय लेगा तथा वह जो भी फैसला करेगा, राज्य सरकार उसका समर्थन करेगी।
इस बीच, ह्यूस्टन इस्कॉन के प्रमुख सारंग ठाकुर दास ने संस्था की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा कि मंदिर ने शुरू में देवताओं के साथ रथ यात्रा की योजना बनाई थी, ‘‘लेकिन स्थानीय समुदाय में हमारे कुछ मित्रों ने चिंता जताई थी, इसलिए हमने योजना में थोड़ा बदलाव करने का फैसला किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस्कॉन के लिए उत्सव में भाग लेने वालों को भगवान जगन्नाथ के दर्शन का अवसर प्रदान करना इस आयोजन की मुख्य विशेषता है। हालांकि, अन्य लोगों के लिए प्राचीन परंपरा और कैलेंडर का अनुपालन प्राथमिकता है।’’
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सिम्मी वैभव
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