(अभिषेक शुक्ला)
नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) इंटरपोल ने सीमाओं के पार धनशोधन की गई संपत्तियों का पता लगाने के लिए एक प्रायोगिक परियोजना के तहत अपना पहला ‘सिल्वर’ नोटिस जारी किया है। भारत भी इस परियोजना में भागीदार है। वैश्विक निकाय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
नोटिस के संबंध में ‘पीटीआई-भाषा’ द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में इंटरपोल ने एक बयान में कहा कि उसने इटली के अनुरोध पर पहला ‘सिल्वर’ नोटिस जारी किया है, जिसमें एक माफिया सदस्य की संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी गई है।
लियोन, फ्रांस स्थित अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग संगठन ने कहा कि प्रायोगिक परियोजना में भारत सहित 52 सदस्य भागीदार हैं।
वर्तमान में, इंटरपोल के पास आठ प्रकार के रंग-कोड आधारित नोटिस हैं जो किसी सदस्य देश को दुनिया भर में विशिष्ट प्रकार की जानकारी प्राप्त करने की अनुमति देते हैं। रेड नोटिस किसी देश को दूसरे देश में रहने वाले भगोड़ों को हिरासत में लेने का अनुरोध करने की अनुमति देता है।
भारत में इस परियोजना के संबंध में जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, ‘‘सिल्वर नोटिस से भारत को उन अपराधियों की संपत्तियों का पता लगाने में मदद मिलेगी, जिन्होंने अपनी अवैध संपत्ति को कर पनाहगाहों और अन्य देशों में यह सोचकर स्थानांतरित कर दिया है कि इसका कभी पता नहीं लगाया जा सकेगा।’’
इंटरपोल ने कहा कि इस परियोजना के तहत 500 नोटिस मांगे जा सकते हैं, जिन्हें भागीदार देशों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाएगा। किसी देश द्वारा जिन व्यक्तियों के बारे में जानकारी मांगी जा रही है, इंटरपोल उनके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं करेगा।
इंटरपोल ने कहा, ‘‘सिल्वर नोटिस संगठन के रंग-कोड आधारित नोटिस के समूह में नवीनतम नोटिस है, जिसके तहत विभिन्न देश दुनिया भर में सूचना के लिए अनुरोध कर सकते हैं। इसे 52 देशों को शामिल करते हुए एक प्रायोगिक चरण के तहत शुरू किया जा रहा है, जो कम से कम नवंबर 2025 तक चलेगा।’’
इंटरपोल के महासचिव वाल्डेसी उर्कीजा ने कहा कि अपराधियों और उनके नेटवर्क के अवैध वित्त पोषण पर चोट करना, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध से लड़ने के सबसे शक्तिशाली तरीकों में से एक है, विशेषकर यह देखते हुए कि 99 प्रतिशत आपराधिक संपत्तियां अभी तक बरामद नहीं हो पाई हैं।
भाषा शफीक अविनाश
अविनाश
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