केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर का बयान, किसानों से अनौपचारिक वार्ता जारी, नए साल से पहले हो जाएगा किसानों के मुद्दों का समाधान | Informal talks with farmers continue, their issue expected to be resolved before New Year: Tomar

केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर का बयान, किसानों से अनौपचारिक वार्ता जारी, नए साल से पहले हो जाएगा किसानों के मुद्दों का समाधान

केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर का बयान, किसानों से अनौपचारिक वार्ता जारी, नए साल से पहले हो जाएगा किसानों के मुद्दों का समाधान

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 08:28 PM IST
,
Published Date: December 18, 2020 12:51 pm IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संघों के आंदोलन के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार को नववर्ष से पहले किसानों के मुद्दे का समाधान हो जाने की उम्मीद है और उसने गतिरोध दूर करने के लिए किसानों के विभिन्न संगठनों के साथ अपनी अनौपचारिक वार्ता जारी रखी है। तोमर ने औपचारिक वार्ता पर आंदोलनरत किसान संघों के साथ गतिरोध बने रहने के बीच यह कहा, जिन्होंने तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने के अलावा कुछ भी स्वीकार करने से मना कर दिया है।

मंत्री ने कहा कि (नरेंद्र) मोदी सरकार कृषक समुदाय की सभी वाजिब चिंताओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह किसी भी वक्त औपचारिक वार्ता फिर से शुरू करने को इच्छुक है। हालांकि, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि किसानों के कंधों पर बंदूक रख कर चलाने वालों से बात करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने किसानों को गुमराह करने के लिए विपक्षी पार्टियों को जिम्मेदार ठहराया और उन पर आरोप लगाया कि वे सुधार प्रक्रिया पर अपने रुख में बदलाव कर रही हैं तथा मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रही हैं।

read more: 21 से 30 दिसंबर तक चलेगा छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र, सीएम भूपेश बघेल ने बुलाई कांग्रेस व…

तोमर ने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा कि तीनों नये कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी हैं और सरकार लिखित में यह आश्वासन देने को तैयार है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा मंडी प्रणाली जारी रहेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या 2020 से पहले किसानों के मुद्दे का समाधान हो जाएगा, तोमर ने कहा, ‘‘हां। मुझे पूरी उम्मीद है…हर किसी का अपना एजेंडा है। मेरा एजेंडा किसान है। मुझे बताइए कि कृषि कानूनों का कौन सा प्रावधान किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है , मुझे समझाइए जरा। हम चर्चा के लिए तैयार हैं। ’’ तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ करीब 40 किसान संघों से बातचीत में केंद्र का नेतृत्व कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदर्शनकारी किसानों के कई नेताओं ने अपना आंदोलन तेज करने की धमकी दी है और कहा है कि वे अगले साल गणतंत्र दिवस समारोह दिल्ली की सीमाओं पर अपनी ट्रैक्टर रैलियों के साथ मनाने के लिए तैयार हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन राष्ट्रीय राजधानी में 26 जनवरी 2021 को राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। हजारों की संख्या में किसान, जिनमें से ज्यादातर पंजाब एवं हरियाणा से हैं, दिल्ली की सीमाओं पर पिछले तीन हफ्ते से अधिक समय से नये कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। गतिरोध को दूर करने के लिए तीनों केंद्रीय मंत्रियों और 40 किसान संघों के बीच कम से कम पांच दौर की औपचारिक वार्ता हुई है, लेकिन किसानों के संघ इन कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

read more: लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने सेना के भर्ती निदेशालय के महानिदेशक का पद स…

गतिरोध और आगे की राह के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए तोमर ने कहा, ‘‘हम किसानों के संघों के साथ निरंतर चर्चा कर रहे हैं …कुल मिलाकर, हमारी कोशिश उनके साथ वार्ता के जरिए एक समाधान तक पहुंचने की है। हम वार्ता के लिए अब भी तैयार है। मैं उम्मीद करता हूं कि वार्ता के जरिए हम एक समाधान तक पहुंचने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘अनौपचारिक वार्ता जारी है। मुझे उम्मीद है कोई रास्ता निकल जाएगा। ’’

यह पूछे जाने पर कि क्या उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित की जाने वाली समिति वार्ता करेगी और समाधान निकालेगी या फिर सरकार अपनी कोशिशें जारी रखेंगी, तोमर ने कहा कि सरकार ने किसान नेताओं के साथ बातचीत के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं और आगे के कदम के लिए शीर्ष न्यायालय के आदेश का इंतजार करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह विषय न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय के आदेश के बाद, हम उसका अध्ययन करेंगे और कोई निर्णय लेंगे…हम न्यायालय के निर्देश का इंतजार करेंगे। ’’ मंत्री ने कहा कि किसानों के बारे में चिंतित किसान संघों को कृषक समुदाय की समस्याएं उठानी चाहिए ताकि सरकार एक समाधान तलाश सके। साथ ही, उन्होंने किसान संगठनों से यह भी कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने या वापस लेने पर जोर नहीं दें, जिन्हें किसानों के फायदे के लिए लागू किया गया है।

read more:  मुंबई मेट्रो कार शेड के लिए बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स की जमीन पर व…

किसान संघों द्वारा सरकार से अन्य किसान संघों/संगठनों के साथ समानांतर वार्ता नहीं करने और प्रदशनकारी किसानों को बदनाम नहीं करने के लिए कहे जाने के विषय पर तोमर ने कहा, ‘‘किसानों के कल्याण की चिंता कर रहे किसान नेताओं को किसानों की समस्याओं के बारे में चर्चा करनी चाहिए। यह मायने क्यों रखना चाहिए कि क्या इन कानूनों को वापस लिया जाएगा या नहीं?’’ उन्होंने कहा कि सरकार को यदि इन कानूनों के प्रावधानों पर आपत्तियों के बारे में सफलतापूर्वक सहमत कर लिया जाता है तो केंद्र इन कानूनों में बदलाव करने पर विचार कर सकता है।

वास्तविक किसान नेताओं के साथ बातचीत करने संबंधी उनकी हालिया टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘‘जब मैं वास्तविक कहता हूं तो मेरा मतलब उन लोगों से है जो सचमुच में किसानों के बारे में चिंतित हैं। उन लोगों से बात करने का कोई मतलब नहीं है जो किसानों के कंधे पर बंदूक रख कर चलाना चाहते हैं। ’’ उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्या का हल करने के लिए मौजूद है लेकिन जब तक कोई खास समस्याएं नहीं बताई जाएंगी, तब तक सरकार समाधान की पेशकश कैसे कर सकती है।

यह पूछे जाने पर कि सरकार एमएसपी के बारे में आश्वासन कैसे देने की योजना बना रही है, तोमर ने कहा, ‘‘हम लिखित में देंगे कि इस तारीख तक जिस तरह से एमएसपी जारी है, वह भविष्य में भी जारी रहेगी। इस बारे में किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए। ’’ उन्होने कहा कि एमएसपी प्रणाली एक प्रशासनिक फैसला है और हर चीज के लिए कानून नहीं हो सकता है। तोमर ने इस बात का जिक्र किया कि जब इरादे सही हों तो समाधान भी निश्चित रूप से निकलता है। उन्होंने कहा कि केंद्र की (नरेंद्र) मोदी सरकार ने स्पष्ट इरादे के साथ तीनों कृषि कानूनों को लागू किया और इसके नतीजे भी अच्छे होंगे।

read more: महाराष्ट्र: विषाक्त भोजन खाने से तीन बहनों की मौत

अकाली दल के इस आरोप पर कि ‘भाजपा ही असली टुकड़े-टुकड़े गैंग है और हिंदू-मुसलमान को बांटना चाहती थी और अब हिंदू-सिख को बांटना चाहती है’ , तोमर ने कहा, ‘‘राजनीतिक दलों को किसानों की आड़ में राजनीति नहीं करनी चाहिए। ये वही पार्टियां हैं जिन्होंने चुनावों के दौरान इन सुधारों का समर्थन किया था। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘2019 के आम चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र में, पंजाब विधानसभा चुनाव घोषणा पत्र में, चाहे वह कांग्रेस हो या अकाली दल या आम आदमी पार्टी, सभी ने सुधारों की बात कही। अब वे अपना रुख बदल रहे हैं। ’’

यह पूछे जाने पर कि क्या ये प्रदर्शन मोदी-विरोधी हैं या इन कानूनों पर किसानों की वाजिब चिंताओं को लेकर हैं, तोमर ने कहा, ‘‘प्रदर्शन में किसान हैं। कृषि मंत्री होने के नाते मैं उन्हें किसान मानता हूं। हम कृषि के दृष्टिकोण से उन पर गौर कर रहे हैं। मेरी कोशिश किसान नेताओं से बात करने की है ताकि हम उनकी समस्याओं को दूर कर सकें। ’’ मंत्री ने कहा कि पिछले पांच दौर की वार्ता में सरकार ने किसान संघों के नेताओं से कानूनों के प्रावधानों पर अपनी आपत्तियां बताने को कहा था लेकिन उन्होंने खण्डवार चिंताएं साझा नहीं की और इसलिए केंद्र ने कुछ संशोधनों का सुझाव देते हुए एक मसौदा प्रस्ताव भेजा था। ’’

तोमर ने बृहस्पतिवार को किसानों के नाम आठ पृष्ठों का एक खुला पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि नये कृषि कानूनों के बारे में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने आंदोलनरत किसानों से इन सफेद झूठ के झांसे में नहीं आने की अपील की थी और कहा था कि केंद्र उनकी सभी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार है।

 

 
Flowers