नई दिल्ली: HMPV Virus in India राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के प्रकोप की हालिया खबरों के मद्देनजर देश में श्वसन और मौसमी इन्फ्लुएंजा के मामलों पर करीबी नजर रखे हुए है और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के संपर्क में है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
HMPV Virus in India एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए हैं और विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।” स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल ने कहा कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस सांस से संबंधित किसी भी अन्य वायरस की तरह है, जो सामान्य जुकाम का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि यह युवाओं और अधिक आयु के लोगों में फ्लू जैसे लक्षण पैदा कर सकता है।
उन्होंने कहा, “चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के प्रकोप के बारे में खबरें आई हैं। हालांकि, हमने देश (भारत) में श्वसन प्रकोप के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। दिसंबर 2024 के आंकड़ों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है। हमारे किसी भी स्वास्थ्य संस्थान से बड़ी संख्या में मामले सामने नहीं आए हैं। मौजूदा स्थिति को लेकर घबराने की कोई बात नहीं है।”
डॉ. गोयल ने कहा, “किसी भी स्थिति में, सर्दी के दौरान श्वसन संक्रमण का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसके लिए आमतौर पर हमारे अस्पतालों में आवश्यक चीजों की आपूर्ति और बिस्तरों की व्यवस्था की जाती है।” उन्होंने लोगों को श्वसन संक्रमण को रोकने के लिए अपनाई जाने वाली सामान्य सावधानियां बरतने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यदि किसी को खांसी और जुकाम है तो उन्हें दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए ताकि संक्रमण न फैले।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) एक श्वसन वायरस है जो सामान्य सर्दी, खांसी और फ्लू जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। यह मुख्य रूप से युवा बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है।
वर्तमान में भारत में एचएमपीवी का कोई उल्लेखनीय प्रकोप नहीं है। दिसंबर 2024 के आंकड़ों के अनुसार, श्वसन संक्रमण के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं देखी गई है।
एचएमपीवी के लक्षणों में सामान्य सर्दी, खांसी, बुखार, नाक बंद होना, और सांस लेने में दिक्कत शामिल हैं। ये लक्षण फ्लू के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं।
संक्रमण से बचने के लिए खांसी और जुकाम वाले व्यक्तियों से दूरी बनाएं, मास्क पहनें, नियमित रूप से हाथ धोएं, और भीड़भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचें।
सर्दियों में ठंडे तापमान और कम आर्द्रता के कारण श्वसन संक्रमण फैलने का जोखिम बढ़ जाता है। इस दौरान वायरस अधिक समय तक सतहों पर जीवित रह सकते हैं।