नौसैनिक युद्धपोतों के नौसेना में शामिल होने से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास बढ़ेगा : मोदी |

नौसैनिक युद्धपोतों के नौसेना में शामिल होने से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास बढ़ेगा : मोदी

नौसैनिक युद्धपोतों के नौसेना में शामिल होने से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास बढ़ेगा : मोदी

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Modified Date: January 14, 2025 / 11:09 PM IST
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Published Date: January 14, 2025 11:09 pm IST

नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि 15 जनवरी को तीन फ्रंटलाइन नौसैनिक युद्धपोतों के नौसेना में शामिल होने से रक्षा क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने की भारत की कोशिशों को मजबूती मिलेगी तथा आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने भारतीय नौसेना की ओर से ‘एक्स’ पर किए एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, ‘कल 15 जनवरी को हमारी नौसेना क्षमताओं के लिहाज से एक विशेष दिन होने जा रहा है। तीन फ्रंटलाइन नौसैनिक युद्धपोतों के शामिल होने से रक्षा क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने की हमारी कोशिशों को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारी कोशिशों को बढ़ावा मिलेगा।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना के तीन अग्रणी युद्धपोतों आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि तीन प्रमुख नौसैनिक युद्धपोतों का जलावतरण रक्षा निर्माण और समुद्री सुरक्षा में वैश्विक रूप से अग्रणी बनने के भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

इसके अनुसार पी15बी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर परियोजना का चौथा और अंतिम युद्धपोत आईएनएस सूरत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे परिष्कृत विध्वंसक युद्धपोतों में से एक है। इसमें 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है और यह अत्याधुनिक हथियार-सेंसर पैकेज और उन्नत नेटवर्क-केंद्रित क्षमताओं से लैस है।

पी17ए स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना का पहला युद्धपोत आईएनएस नीलगिरि, भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और इसे बढ़ी हुई क्षमता, समुद्र में लंबे समय तक रहने तथा स्टील्थयुक्‍त उन्नत सुविधाओं के साथ नौसेना में शामिल किया गया है, यह स्वदेशी फ्रिगेट की अगली पीढ़ी को दर्शाता है।

बयान के अनुसार पी75 स्कॉर्पीन परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर, पनडुब्बी निर्माण में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता का प्रतिनिधित्व करती है और इसका निर्माण फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से किया गया है।

भाषा ब्रजेन्द्र देवेंद्र

देवेंद्र

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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