नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि देश में परमाणु ऊर्जा की स्थापित क्षमता 2029-30 तक मौजूदा 8.18 गीगावॉट से बढ़कर 13 गीगावॉट हो जाएगी और 2032 तक सभी स्वीकृत परियोजनाओं के पूरा होने के बाद यह बढ़कर 22.5 गीगावॉट हो जाएगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदन में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘इस बजट में एक परमाणु मिशन की घोषणा की गई है… मुझे यकीन है कि आने वाले समय में इतिहास में दर्ज होगा कि यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे पथ प्रदर्शक निर्णयों में से एक रहा है। और अगर किसी को एक वाक्य में परिभाषित करने के लिए कहा जाए तो यह निर्णय होमी भाभा के सपने की सच्ची पुष्टि है।’’
परमाणु क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी के बारे में सिंह ने कहा कि परमाणु मिशन का एक महत्वपूर्ण घटक यह है कि भारत बड़े पैमाने पर छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के निर्माण में सार्वजनिक-निजी भागीदारी करेगा, जो विशेष रूप से भारत जैसे देश के लिए प्रासंगिक हैं।
सिंह के अनुसार, परमाणु क्षेत्र में निजी भागीदारी की अनुमति से परमाणु क्षमता में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसके लिए परमाणु में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी और साझेदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए विधायी परिवर्तन किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा से राष्ट्रीय ग्रिड को बेस-लोड बिजली आपूर्ति से परे कई अंतिम उपयोगों को पूरा करने की उम्मीद है, जैसे कैप्टिव पावर और उद्योग को प्रक्रिया गर्मी, बिजली और/या ताजा पानी (समुद्री जल परमाणु विलवणीकरण के माध्यम से) अलग-अलग ग्रिडों में, और कठिन क्षेत्रों के लिए स्वच्छ हाइड्रोजन।
सिंह ने कहा कि 2030 के बाद देश के लिए दो राष्ट्रीय लक्ष्य हैं- ‘2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता’ और ‘2070 तक शुद्ध शून्य’।
भविष्य के लिए इष्टतम ऊर्जा मिश्रण को उपभोक्ता को न्यूनतम लागत पर राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा के लिए गुणवत्ता और विश्वसनीय बिजली सुनिश्चित करने के लिए सभी उपलब्ध ऊर्जा स्रोतों का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के पूरक स्रोत के रूप में परमाणु के कई फायदे हैं, जो ग्रिड स्थिरता, संतुलन और ऊर्जा भंडारण प्रणाली की आवश्यकता को कम करने में मदद करता है और साथ ही बदले में बैटरी के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों की आवश्यकता को कम करने में मददगार होता है।
ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता प्राप्त करने के लिए परमाणु ऊर्जा को एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में मान्यता देते हुए, सरकार ने विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन शुरू किया है।
मंत्री ने बताया कि केंद्रीय बजट 2025-26 का एक प्रमुख आकर्षण परमाणु ऊर्जा मिशन की शुरुआत है, जो छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) के अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) पर केंद्रित है। सरकार ने इस पहल के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र माधव
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