(तस्वीर के साथ)
(मानस प्रतिम भुइयां)
नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क सुजमैन ने कहा कि भारत ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए व्यापक एजेंडा तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय नवाचार विकासशील देशों में वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने जैसी विभिन्न वैश्विक चुनौतियों को हल करने में मदद कर सकता है।
सुजमैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ विशेष साक्षात्कार में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत की सराहना की, जो देश की जी-20 अध्यक्षता का केंद्रबिंदु रहा।
डीपीआई एजेंडे का उद्देश्य सुरक्षित, सुलभ और अंतर-संचालनीय डिजिटल प्रणालियां विकसित कर अधिक संबद्ध और समावेशी समाज का निर्माण करना है।
सुजमैन गेट्स फाउंडेशन के बोर्ड सदस्यों के साथ इस समय भारत के दौरे पर हैं।
गेट्स फाउंडेशन के सीईओ ने भारत को एक गतिशील राष्ट्र बताया, जहां मानव पूंजी का लगातार विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक सुखद बिंदु है, जहां हम मानते हैं कि हमारे निवेश से आने वाले वर्षों में और भी अधिक प्रगति करने में मदद मिल सकती है।’’
सुजमैन ने कहा, “भारत में हम जिस तरह की साझेदारियां देख रहे हैं, चाहे जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में या फिर कृषि, स्वास्थ्य सेवा या शिक्षा के क्षेत्र में, वे अविश्वसनीय रूप से रोमांचक हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं नवाचार एजेंडा शब्द का इस्तेमाल करता रहता हूं, क्योंकि भविष्य में वैश्विक प्रगति के लिए यही सबसे अहम होगा। हालांकि, प्रगति किफायती भी होनी चाहिए। सार्वजनिक वस्तुओं के लिए उपलब्ध वैश्विक संसाधनों की मात्रा सीमित है।”
सुजमैन ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि गेट्स फाउंडेशन किस तरह भारत में अपने कामकाज का विस्तार करने के लिए उत्साहित है, क्योंकि देश स्वास्थ्य और नवाचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है।
उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं कि भारत इस बात को लेकर चिंतित है कि उसकी विकास दर उतनी ऊंची नहीं है, जितनी होनी चाहिए, लेकिन ज्यादातर अन्य देश भारत जितनी विकास दर हासिल करना पसंद करेंगे।”
सुजमैन ने कहा, “इस समय, ‘ग्लोबल नॉर्थ’ (विकसित देश) और ‘ग्लोबल साउथ’ (विकासशील देश) दोनों में महत्वपूर्ण राजकोषीय बाधाएं हैं। इससे सबसे कुशल, उच्च-प्रभाव एवं उच्च लाभ की उम्मीद वाले निवेश एवं हस्तक्षेप पर ध्यान केंद्रित करना और भी अहम हो जाता है।”
उन्होंने कहा, “यही वह चीज है, जिसे सीखने के लिए हम और हमारे बोर्ड सदस्य भारत आए हैं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम इस यात्रा के बाद और भी अधिक ऊर्जा और उत्साह के साथ लौट रहे हैं, क्योंकि हम भारत के साथ मिलकर काम करने की संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं और मानवीय गतिविधियों के प्रभावों को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।”
भाषा पारुल नेत्रपाल
नेत्रपाल
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)