भारत इस वर्ष मानवयुक्त ‘अंडरवाटर सबमर्सिबल’ को लॉन्च करेगा: जितेन्द्र सिंह |

भारत इस वर्ष मानवयुक्त ‘अंडरवाटर सबमर्सिबल’ को लॉन्च करेगा: जितेन्द्र सिंह

भारत इस वर्ष मानवयुक्त ‘अंडरवाटर सबमर्सिबल’ को लॉन्च करेगा: जितेन्द्र सिंह

Edited By :  
Modified Date: January 24, 2025 / 11:48 AM IST
,
Published Date: January 24, 2025 11:48 am IST

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) भारत अपने ‘डीप ओशन मिशन’ के तहत समुद्र में 500 मीटर की गहराई पर अपने पहले मानवयुक्त ‘अंडरवाटर सबमर्सिबल’ का संचालन करेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

‘अंडरवाटर सबमर्सिबल’ गहरे समुद्र में चलने वाला मानवयुक्त वाहन होता है। इसे एक बड़े जलयान या मंच द्वारा परिवहन और समर्थन की आवश्यकता होती है। वहीं पनडुब्बी की क्षमता अधिक होती है और यह समुद्र में लंबे समय तक रहकर स्वतंत्र संचालन में सक्षम होता है।

सिंह ने यह टिप्पणी मिशन संचालन समिति की बैठक में की। बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद और पृथ्वी विज्ञान सचिव एम. रविचंद्रन सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

सिंह ने कहा कि इस साल यह ‘सबमर्सिबल’ 500 मीटर की गहराई तक काम करेगा और अगले साल तक 6,000 मीटर की गहराई तक पहुंचने का लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत के अन्य ऐतिहासिक मिशनों की समयसीमा के साथ तालमेल रखेगी, जिसमें गगनयान अंतरिक्ष मिशन भी शामिल है जो वैज्ञानिक उत्कृष्टता की ओर देश की यात्रा में एक ‘‘सुखद संयोग’’ को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि ‘डीप ओशन मिशन’ में महत्वपूर्ण खनिजों, दुर्लभ धातुओं और अज्ञात समुद्री जैव विविधता सहित विशाल संसाधनों को खोजने की क्षमता है, जो देश की आर्थिक वृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सिंह ने कहा, ‘‘इस मिशन के माध्यम से हम न केवल अपने महासागरों की गहराई का पता लगा रहे हैं, बल्कि एक मजबूत ‘नीली अर्थव्यवस्था’ का निर्माण भी कर रहे हैं जो भारत के भविष्य को आगे बढ़ाएगी।’’

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पूरी पहल स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जिसे पूरी तरह से भारत में विकसित और निर्मित किया गया है, जो अत्याधुनिक विज्ञान में देश की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र की समझ को बढ़ाना है, जो टिकाऊ मत्स्य पालन और जैव विविधता संरक्षण में योगदान देता है।

पानी के नीचे के इन खनिजों का दोहन करके भारत अपनी अर्थव्यवस्था, वैज्ञानिक समुदाय और पर्यावरणीय लचीलेपन के लिए दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए तैयार है।

भाषा सुरभि प्रशांत

प्रशांत

Follow Us

Follow us on your favorite platform:

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers