नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) भारत और श्रीलंका अगले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के दौरान पहली बार एक बड़े रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।
यह कदम चीन द्वारा कोलंबो पर अपना सैन्य प्रभाव बढ़ाने के लगातार प्रयासों के बीच उठाया गया है।
कोलंबो में पांच अप्रैल को मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायका के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्ष श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन समेत कई अन्य द्विपक्षीय समझौतों को भी अंतिम रूप दे सकते हैं।
मोदी थाईलैंड की अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद चार अप्रैल की शाम को तीन दिवसीय यात्रा पर श्रीलंका पहुंचेंगे।
शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि रक्षा सहयोग को लेकर एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है और इस पर पहली बार हस्ताक्षर किए जाएंगे।
यदि रक्षा सहयोग को लेकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हो जाते हैं, तो यह भारत-श्रीलंका रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी प्रगति का संकेत होगा। इसके साथ ही लगभग 35 वर्ष पहले श्रीलंका से भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) को वापस बुलाने से संबंधित कड़वे दौर की यादें धुंधली होने की उम्मीद है।
प्रस्तावित रक्षा समझौते के विस्तृत विवरण अभी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति की पृष्ठभूमि में द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
मिसरी ने समग्र संबंधों के बारे में कहा, “श्रीलंका हमारी ‘पड़ोसी पहले’ नीति का एक अभिन्न अंग है और आपसी विश्वास व सद्भावना पर आधारित संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं।”
उन्होंने कहा कि मोदी की यात्रा निवेश को बढ़ावा देने व संपर्क को मजबूत बनाने और भौतिक संपर्क, डिजिटल संपर्क, ऊर्जा संपर्क एवं विभिन्न अन्य क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगी।
मोदी पहले विदेशी नेता होंगे, जिनकी श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में दिसानायका मेजबानी करेंगे। मोदी ने आखिरी बार 2019 में श्रीलंका की यात्रा की थी।
तीन महीने पहले दिसानायका ने भारत की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने मोदी को स्पष्ट रूप से बताया था कि श्रीलंका अपने क्षेत्र का इस्तेमाल नयी दिल्ली के सुरक्षा हितों के खिलाफ नहीं होने देगा।
मिसरी ने कहा, “भारत महत्वपूर्ण क्षणों में श्रीलंका की सहायता के लिए आगे आया है। हाल ही में 2022 में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के दौरान ऐसा देखा गया था।”
उन्होंने कहा, ‘भारत को खुशी है कि वह श्रीलंका के आर्थिक स्थिरीकरण और पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाया है, जिससे श्रीलंका के एक भरोसेमंद पड़ोसी के रूप में उसकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।”
भाषा
जोहेब संतोष
संतोष
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)