भारत को तीसरे या चौथे सबसे बड़े ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जक के रूप में नहीं देखा जाए : भूपेंद्र यादव |

भारत को तीसरे या चौथे सबसे बड़े ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जक के रूप में नहीं देखा जाए : भूपेंद्र यादव

भारत को तीसरे या चौथे सबसे बड़े ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जक के रूप में नहीं देखा जाए : भूपेंद्र यादव

:   Modified Date:  September 18, 2024 / 08:00 PM IST, Published Date : September 18, 2024/8:00 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि भारत को विश्व में ग्रीनहाउस गैसों के तीसरे या चौथे सबसे बड़े उत्सर्जक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उसके प्रति व्यक्ति कम उत्सर्जन पर गौर किया जाना चाहिए।

गुजरात के गांधीनगर में ‘ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इनवेस्टर्स मीट एंड एक्सपो’ के एक सत्र में अपने संबोधन में यादव ने कहा कि दुनिया की 17 फीसदी जनसंख्या भारत में रहती है, लेकिन उसका वैश्विक कार्बन उत्सर्जन पांच प्रतिशत से भी कम है।

उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, विकसित देशों की संयुक्त 17 प्रतिशत आबादी का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक उत्सर्जन का 60 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत को विश्व में ग्रीनहाउस गैसों के तीसरे या चौथे सबसे बड़े उत्सर्जक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। भले ही (कुल) कार्बन उत्सर्जन के मामले में हम ‘चौथे या पांचवें’ स्थान पर हैं, लेकिन हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विकसित देशों की तुलना में काफी कम है।’’

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि जब जीवाश्म ईंधन के उपयोग की बात आती है, तो भारत सहित विकासशील देशों का मानना ​​है कि उनकी अब भी महत्वपूर्ण विकास आवश्यकताएं हैं और इसलिए ‘साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों’ के सिद्धांत को इस मुद्दे पर बातचीत का आधार बनाना चाहिए।

इस सिद्धांत में इस तथ्य को स्वीकारा गया है कि वैसे तो जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने पर ध्यान देने की जिम्मेदारी सभी देशों की है, लेकिन ऐतिहासिक तौर पर विकसित देशों का वैश्विक उत्सर्जन में अधिक हाथ रहा है और उनके पास इस समस्या के समाधान के वास्ते अधिक वित्तीय एवं प्रौद्योगिकी क्षमताएं भी हैं।

विकासशील देशों की दलील है कि चूंकि गरीबी उन्मूलन एवं बुनियादी ढांचा विकास के तौर पर उनकी बड़ी विकास जरूरतें हैं, जिनके लिए उन्हें निकट भविष्य में जीवाश्म ईंधन के निरंतर उपयोग की जरूरत हो सकती है।

वे समता एवं निष्पक्षता की वकालत करते हैं तथा स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ने के लिए और समय तथा सहयोग का अनुरोध करते हैं, ताकि उनकी विकास जरूरतों की पूर्ति हो सके।

यादव ने कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निम्न-कार्बन विकास रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है।

भाषा राजकुमार दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers