नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि भारत ने प्रभावी स्वास्थ्य सेवा ‘डिलिवरी’ के लिए डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों का लाभ उठाने की दिशा में एक लंबी छलांग लगाई है।
उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल स्वास्थ्य युक्तियां केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा डिलिवरी कार्यक्रमों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि विविध स्वास्थ्य परिणामों में फैले हुए हैं, जो स्वास्थ्य और रोग से जुड़ी विस्तृत श्रेणियों में संचारी और गैर-संचारी दोनों प्रकार के रोगों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।’’
मांडविया ‘डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक सम्मेलन – सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को अंतिम नागरिक तक सुलभ करना’ के अंतिम दिन अपने संबोधन के दौरान यह बात कही। इस सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र द्वारा किया गया था।
उन्होंने कहा, “भारत ने मातृ और बाल स्वास्थ्य क्षेत्र में, 20 करोड़ पात्र जोड़ों, 14 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 12 करोड़ बच्चों का नाम-आधारित डेटाबेस का निर्माण किया है, जिनकी प्रसव पूर्व, प्रसवोत्तर और टीकाकरण संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निगरानी की जा रही है।’’
मांडविया ने कहा कि एक अन्य प्रमुख उदाहरण राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत निक्षय युक्ति है, जिसके माध्यम से 1.1 करोड़ से अधिक रोगियों की टीबी उपचार के लिए निगरानी की जा रही है।
उन्होंने डिजिटल स्वास्थ्य और सेवा डिलिवरी क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को भी रेखांकित किया। उन्होंने ई-रक्तकोश (जो देश भर में सभी ब्लड बैंकों का प्रबंधन करता है), ओआरएस (ऑनलाइन रिजर्वेशन सिस्टम एप्लिकेशन जो देश भर में सरकारी सुविधाओं के लिए ऑनलाइन नियुक्ति प्रदान करता है), मेरा अस्पताल (अस्पतालों द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं पर फीडबैक के लिए मंच), ई-संजीवनी (दुनिया का सबसे बड़ा टेलीमेडिसिन नेटवर्क) और कोविन जैसे अखिल भारतीय डिजिटल अनुप्रयोगों को भी रेखांकित किया।
भाषा अविनाश पवनेश
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