भारत 90 से अधिक देशों को सैन्य साजो सामान निर्यात कर रहा है: राजनाथ सिंह |

भारत 90 से अधिक देशों को सैन्य साजो सामान निर्यात कर रहा है: राजनाथ सिंह

भारत 90 से अधिक देशों को सैन्य साजो सामान निर्यात कर रहा है: राजनाथ सिंह

:   Modified Date:  September 25, 2024 / 03:14 PM IST, Published Date : September 25, 2024/3:14 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत का रक्षा उत्पादन 2023-24 में मूल्य के लिहाज से 1.27 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है और वह अब 90 से अधिक मित्र देशों को हथियार और सैन्य साजो सामान निर्यात कर रहा है।

मंत्री ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की 10वीं वर्षगांठ पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि भारतीय सशस्त्र बल अब भारतीय सरजमीं पर निर्मित हथियारों और साजो सामान का उपयोग कर रहे हैं और देश वैश्विक रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में उभर रहा है।

सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व के तहत सरकार ने देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा, ‘‘तब से 10 साल बाद, रक्षा सहित हर क्षेत्र में कई सुधार किए गए हैं। भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में उभर रहा है।’’

मंत्री ने कहा, ‘‘आज, भारतीय सशस्त्र बल ऐसे हथियारों और साजो सामान का उपयोग कर रहे हैं, जो हमारी अपनी धरती पर निर्मित हैं और हम 90 से अधिक मित्र देशों को रक्षा सामग्रियां भी निर्यात कर रहे हैं।’’

पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसका फोकस घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने तथा विशेष रूप से चीन के साथ लगी सीमा पर स्थित क्षेत्रों में सैन्य तैयारियों को मजबूत करने पर रहा है।

भारत का रक्षा निर्यात 2023-24 में पहली बार 21,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया और रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में इसे बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है।

भारत वैश्विक स्तर पर हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। अनुमान के अनुसार, भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा 2029 तक पूंजीगत खरीद में लगभग 130 अरब अमरीकी डॉलर खर्च करने का अनुमान है। सरकार आयातित सैन्य साजो सामान पर निर्भरता कम करना चाहती है और उसने घरेलू रक्षा विनिर्माण का सहयोग करने का निर्णय लिया है।

भाषा आशीष मनीषा

मनीषा

 

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