नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) भारत ने संयुक्त राष्ट्र के ‘भविष्य का शिखर सम्मेलन’ में कहा कि टिकाऊ जीवनशैली अपनाकर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न कई चुनौतियों से निपटा जा सकता है और यदि किफायती समाधान पेश किए जाए तो वैश्विक स्तर पर सफलता की संभावना अधिक है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में सचिव लीला नंदन ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क में हुए शिखर सम्मेलन को संबोधित करते कहा कि जलवायु परिवर्तन पर चर्चाएं अक्सर केवल उत्सर्जन कम करने पर केंद्रित होती हैं, लेकिन ‘‘यदि हम निर्णयों को केवल थोपे बिना किफायती समाधान पेश करें, तो हमारे सफल होने की संभावना अधिक होती है।’’
‘भविष्य का शिखर सम्मेलन’ वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करने तथा उभरते खतरों से निपटने के मकसद से बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए दुनियाभर के नेताओं, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को एक साथ लाता है।
नंदन ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक अनुमान का हवाला देते हुए कहा, ‘‘यदि हम ऊर्जा की बचत, जल की बचत, अपशिष्ट में कमी, ई-कचरे में कमी, टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को अपनाने के संदर्भ में अपने कार्यों को रखें, तो हम 2030 तक वार्षिक वैश्विक उत्सर्जन में दो अरब टन की कमी कर सकेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसा महत्वपूर्ण कदम है जो जलवायु परिवर्तन परिदृश्य में आज हमारे सामने मौजूद बहुत सारी समस्याओं का समाधान करेगा।’’
नंदन ने कहा कि इस साल की शुरुआत में केन्या के नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए) के छठे सत्र में टिकाऊ जीवन शैली पर भारत के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
उन्होंने कहा कि भारत में 10 लाख से अधिक स्कूल टिकाऊ जीवन शैली के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से अब ‘इको-क्लब’ से जुड़े हैं।
नंदन ने अनुमान लगाया कि 2047 तक भारत में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र तीन करोड़ से साढ़े तीन करोड़ नौकरियां पैदा कर सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जून में शुरू किया गया ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान दुनियाभर के लोगों से पौधे लगाने समेत पृथ्वी के लिए लाभकारी कार्यों में शामिल होने का आग्रह करता है।
अधिकारी ने कहा कि केवल साढ़े तीन महीनों में इस अभियान के तहत भारत में 75 करोड़ पौधे लगाए गए हैं।
भाषा सिम्मी शोभना
शोभना
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