भारत, आस्ट्रेलिया ने सैन्य विमानों में आसमान में ईंधन भरने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया |

भारत, आस्ट्रेलिया ने सैन्य विमानों में आसमान में ईंधन भरने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया

भारत, आस्ट्रेलिया ने सैन्य विमानों में आसमान में ईंधन भरने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया

:   Modified Date:  November 21, 2024 / 08:46 PM IST, Published Date : November 21, 2024/8:46 pm IST

नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) भारत और आस्ट्रेलिया ने दोनों देशों की वायुसेनाओं को आसमान में ईंधन भरने में सक्षम बनाने के लिए एक समझौते को अंतिम रूप दिया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

सैन्य विमानों में हवा में ईंधन भरने की व्यवस्था से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय सेना की पहुंच बढ़ने की उम्मीद है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके आस्ट्रेलियाई समकक्ष पैट कोनरॉय एमपी ने लाओस की राजधानी विएंतियाने में एक क्षेत्रीय सुरक्षा सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक में इस समझौते की घोषणा की।

समझौते के तहत, रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (आरएएएफ) का आसमान में ईंधन भरने वाला विमान- केसी-30ए बहुउद्देशीय टैंकर परिवहन- भारतीय सैन्य विमानों में ईंधन भर सकेगा।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारत-आस्ट्रेलिया के बीच, ‘‘आसमान में ईंधन भरने की व्यवस्था’’ को लागू करने पर सहमति बनी है, जिससे दोनों देशों की वायुसेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता मजबूत होगी तथा यह द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करेगा।

मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संदर्भ में सहयोग कर रक्षा संबंधों को अगले मुकाम तक ले जाने पर सहमत हुए।

ऑस्ट्रेलिया सरकार के बयान के अनुसार, 19 नवंबर को नयी दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया-भारत वायुसेना वार्ता के दौरान इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया।

इसका स्वागत करते हुए रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायुसेना के उप-प्रमुख, एयर वाइस मार्शल हार्वे रेनॉल्ड्स ने कहा कि इससे ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच रक्षा संबंध मजबूत होंगे।

रेनॉल्ड्स ने कहा, ‘‘भारत, ऑस्ट्रेलिया के लिए शीर्ष स्तर का सुरक्षा साझेदार है और हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से हम व्यावहारिक और ठोस सहयोग को प्राथमिकता देना जारी रख रहे हैं जो सीधे हिंद-प्रशांत स्थिरता में योगदान देता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सशस्त्र बलों के साथ हवा में ईंधन भरने की क्षमता हमारी अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाती है। साथ ही हमें विभिन्न परिदृश्यों में अधिक प्रभावी ढंग से सहयोग करने में सक्षम बनाती है।’’

भाषा सुभाष सुरेश

सुरेश

 

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