नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब हमेशा सरकार के खिलाफ फैसले देना नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस समूह द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि कुछ दबाव समूह हैं जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल कर अदालतों पर दबाव डालकर अनुकूल फैसले लेने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘परंपरागत रूप से, न्यायिक स्वतंत्रता को कार्यपालिका से स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित किया गया है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ अब भी सरकार से स्वतंत्रता है। लेकिन न्यायिक स्वतंत्रता के संदर्भ में यह एकमात्र चीज नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा समाज बदल चुका है। विशेष रूप से सोशल मीडिया के आने के बाद, आप हित समूह, दबाव समूह और ऐसे समूहों को देखते हैं जो अनुकूल निर्णय लेने के लिए अदालतों पर दबाव बनाने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
इस महीने की 10 तारीख को प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो रहे चंद्रचूड ने कहा कि अगर न्यायाधीश उनके पक्ष में फैसला करते हैं तो ये दबाब समूह न्यायपालिका को स्वतंत्र बताते हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अगर आप मेरे पक्ष में फैसला नहीं करेंगे, तो आप स्वतंत्र नहीं हैं। इसी बात से मुझे आपत्ति है। स्वतंत्र होने के लिए, एक न्यायाधीश को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए कि उनकी अंतरात्मा उन्हें क्या कहती है, निश्चित रूप से, अंतरात्मा जो कहती है वह कानून और संविधान द्वारा निर्देशित है।’’
चंद्रचूड़ ने कहा कि जब उन्होंने सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया और चुनावी बांड रद्द कर दिया तो उन्हें स्वतंत्र कहा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘जब आप चुनावी बांड पर निर्णय करते हैं, तो आप बहुत स्वतंत्र होते हैं, लेकिन अगर फैसला सरकार के पक्ष में जाता है, तो आप स्वतंत्र नहीं हैं… यह मेरी स्वतंत्रता की परिभाषा नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को मामलों का फैसला करने की छूट दी जानी चाहिए।
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