मौजूदा सरकार को यह एहसास नहीं है कि विविधता को मिटाना इतिहास विरोधी कदम है: सिब्बल |

मौजूदा सरकार को यह एहसास नहीं है कि विविधता को मिटाना इतिहास विरोधी कदम है: सिब्बल

मौजूदा सरकार को यह एहसास नहीं है कि विविधता को मिटाना इतिहास विरोधी कदम है: सिब्बल

:   Modified Date:  July 23, 2024 / 01:07 AM IST, Published Date : July 23, 2024/1:07 am IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए सोमवार को कहा कि मौजूदा सरकार को यह एहसास नहीं है कि विविधता को मिटाना ‘इतिहास विरोधी’ कदम है और इससे तनाव पैदा होगा।

एम पी वीरेंद्र कुमार के सम्मान में चौथा स्मृति व्याख्यान देते हुए सिब्बल ने भारत की अवधारणा और इसके विकास के बारे में विस्तार से बात की।

सिब्बल ने कहा, ‘हम भारत की अवधारणा के बारे में क्यों बात करते हैं? ऐसा इसलिए है कि हममें से ज्यादातर लोग इस महान राष्ट्र की उत्पत्ति को नहीं समझते हैं। अगर आप मुझसे पूछें, तो एक राष्ट्र कई पहलुओं से मिलकर बना होता है जो उसके इतिहास में अंतर्निहित होते हैं। जब तक आप किसी राष्ट्र के इतिहास और सदियों पुरानी उसकी उत्पत्ति को नहीं समझते, तब तक आप कभी नहीं समझ पाएंगे कि राष्ट्र क्या है।’

कांग्रेस के पूर्व नेता ने कहा, ‘किसी देश की नींव क्या है, यह जानने के लिए आपको यह समझना होगा कि सदियों पहले उसका विकास कैसे हुआ और जब आप यह समझ जाएंगे, तो आपको पता चल जाएगा कि भारत क्या है।’

उन्होंने कहा कि भारत की अवधारणा सदियों में विकसित हुई है।

उन्होंने कहा, ‘हमारा राष्ट्र इतना विविधतापूर्ण क्यों है? ऐसा क्यों है कि विविधता हमारी संस्कृति में अंतर्निहित है? हम जो हैं, वह क्यों हैं? इसके लिए हमें अपने हजारों वर्षों के इतिहास में जाना होगा।’

सिब्बल ने कहा, ‘हमारे देश में एक राजनीतिक दल है जो विविधता को मिटाना चाहता है, लेकिन आप ऐतिहासिक तथ्य को नहीं मिटा सकते। आप किसी राजनीतिक दल के राजनीतिक हुक्म के जरिए विविधता को कैसे मिटा सकते हैं?’

सिब्बल ने कहा कि एकमात्र राजनीतिक मूलमंत्र जो इस देश को आगे ले जा सकता है, वह है हमारी विविधता को स्वीकार करना और उस विविधता को भारत की अवधारणा में समाहित करना, जो उस ऐतिहासिक तथ्य को स्वीकार करता है।

उन्होंने कहा, ‘वर्तमान सरकार को यह नहीं पता कि विविधता को मिटाना इतिहास विरोधी कदम है और इससे भारतीय राजनीति में तनाव पैदा होगा।’

भाषा जोहेब सुभाष

सुभाष

 

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