नई दिल्ली: Wheat Price Today आज हर कोई महंगाई की मार झेल रहा है। आए दिन खाने पीने के चीजों के साथ कइ तरह की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं। जिससे आम आदमी को अपने घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है। लोगों की आमदनी से ज्यादा खर्चा बढ़ता जा रहा है। जिससे आज से लेकर हर वर्ग के लोग परेशान है। भारत में गेहूं का आटा रोजमर्रा के भोजन का जरुरी हिस्सा है। इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं। आटें की कीमत में एक बार फिर से बढ़ोतरी हुई है।
Wheat Price Today दिसंबर के महीने में आटें की कीमत 40 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। ये कीमत जनवरी 2009 के बाद सबसे ज्यादा है। आटे की कीमतों में इस बढ़ोतरी के असर से खाद्य महंगाई पर नियंत्रण पाने की सरकार की कोशिशों को तगड़ा झटका लगने की आशंका है।
वहीं बात करें क्विंटल की तो कई जगहों पर गेहूं का भाव ₹5,810 प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है, जो कि सरकार द्वारा तय किए गए MSP ₹2,275 प्रति क्विंटल से कहीं ज्यादा है। इस मूल्य वृद्धि के कारण घरेलू बजट पर भारी दबाव देखा जा रहा है।
देशभर में गेहूं के दामों में भिन्नता देखी जा रही है। हर राज्य में स्थिति अलग है, लेकिन कई राज्यों में कीमतों ने अब तक के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
दिल्ली: औसत कीमत ₹2,989 प्रति क्विंटल, अधिकतम ₹3,116 प्रति क्विंटल।
उत्तर प्रदेश: औसत कीमत ₹2,760 प्रति क्विंटल, अधिकतम ₹2,965 प्रति क्विंटल।
गुजरात: औसत कीमत ₹2,895 प्रति क्विंटल, अधिकतम ₹3,268 प्रति क्विंटल।
महाराष्ट्र: औसत कीमत ₹2,910 प्रति क्विंटल, अधिकतम ₹6,120 प्रति क्विंटल।
राजस्थान: औसत कीमत ₹2,755 प्रति क्विंटल, अधिकतम ₹2,840 प्रति क्विंटल।
मध्य प्रदेश: औसत कीमत ₹2,732 प्रति क्विंटल, अधिकतम ₹2,754 प्रति क्विंटल।
कर्नाटक: औसत कीमत ₹3,545 प्रति क्विंटल, अधिकतम ₹4,230 प्रति क्विंटल।
पश्चिम बंगाल: औसत कीमत ₹2,616 प्रति क्विंटल, अधिकतम ₹3,315 प्रति क्विंटल।
गोवा: गेहूं ₹52 प्रति किलो तक बिक रहा है।
गेहूं के आटे की कीमत में बढ़ोतरी का कारण मौसम की अनुकूलता, उत्पादन में कमी और सप्लाई चेन में दिक्कतें हैं। इसके अलावा, बढ़ती महंगाई और अन्य आर्थिक कारणों से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ रही हैं।
आज के हिसाब से गेहूं का भाव कई जगहों पर ₹5,810 प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है, जो सरकार द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2,275 प्रति क्विंटल से कहीं ज्यादा है।
गेहूं की कीमत में वृद्धि से घरेलू बजट पर भारी दबाव पड़ेगा, क्योंकि गेहूं का आटा भारत में अधिकांश घरों में रोजमर्रा के भोजन का अहम हिस्सा है। इससे खाने-पीने की चीजों की कीमतें और बढ़ सकती हैं।
सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपायों पर काम कर रही है, लेकिन गेहूं के दामों में बढ़ोतरी से खाद्य महंगाई पर नियंत्रण पाना एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
अगर गेहूं की आपूर्ति में और गिरावट होती है या अन्य बाहरी कारणों से स्थिति खराब होती है, तो गेहूं के दामों में और वृद्धि हो सकती है। हालांकि, सरकार इसके नियंत्रण के लिए कदम उठा रही है, फिर भी स्थिति में सुधार होना मुश्किल हो सकता है।
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