नयी दिल्ली, तीन जनवरी (पीटीआई फैक्ट चेक) सोशल मीडिया पर एक खबर के हवाले से दावा किया गया है कि आयकर विभाग डिजी यात्रा एप के डेटा का उपयोग करते हुए कर (टैक्स) चोरी करने वालों पर नकेल कसने की योजना बना रहा है। कुछ यूजर्स इस न्यूज रिपोर्ट को सच मानकर इसे व्यापक रूप से साझा कर रहे हैं।
हालांकि, पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क की जांच में यह दावा गलत साबित हुआ। खबर में शुरू में अज्ञात स्रोतों के हवाले से जानकारी दी गई थी और इसमें ठोस सबूतों का अभाव था, लेकिन बाद में डिजी यात्रा की प्रतिक्रिया के साथ इस दावे का खंडन करते हुए इसे अद्यतन किया गया।
आयकर विभाग, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया कि खबर ‘गलत’ और ‘निराधार’ है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर ने 30 दिसंबर 2024 को एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ”आयकर विभाग डिजी यात्रा डेटा का उपयोग करेगा। आयकर विभाग द्वारा डेटा का दुरुपयोग। यही कारण है कि लोग डिजी यात्रा का उपयोग करने में संकोच करेंगे। लोगों को इस सरकार पर थोड़ा सा भी भरोसा नहीं है, क्योंकि कोई भी सरकारी विभाग डिजी यात्रा डेटा का उपयोग करना शुरू कर सकता है।”
इस पोस्ट में ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की एक खबर का ‘लिंक’ साझा किया गया है, जिसका शीर्षक है, “आयकर विभाग डिजी यात्रा डेटा का उपयोग कर टैक्स चोरी करने वालों पर शिकंजा कसेगा।”
दावे की पुष्टि के लिए डेस्क ने ‘संबंधित कीवर्ड’ की मदद से गूगल सर्च किया। ऐसा करने पर हमें आयकर विभाग द्वारा जारी एक स्पष्टीकरण मिला, जिसमें उन्होंने डिजी यात्रा एप को लेकर वायरल हो रही खबरों का खंडन किया।
आयकर विभाग ने 30 दिसंबर को ‘एक्स’ पर लिखा, ”यह देखा गया है कि कुछ खबरों में कर चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए डिजी यात्रा डेटा का उपयोग करने का जिक्र किया गया है। यह स्पष्ट किया जाता है कि फिलहाल आयकर विभाग द्वारा ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।”
इसी दिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया कि डिजी यात्रा से संबंधित मीडिया रिपोर्ट गलत और निराधार है।
मंत्रालय ने 30 दिसंबर 2024 को ‘एक्स’ पर लिखा, “डिजी यात्रा से संबंधित हालिया मीडिया रिपोर्ट निराधार और गलत दावों पर आधारित हैं। यूजर्स के डेटा को आयकर अधिकारियों के साथ साझा नहीं किया जाता है। यह एप ‘स्वयं-नियंत्रित पहचान’ मॉडल पर काम करता है, जहां निजी जानकारी और यात्रा से जुड़ी जानकारी केवल यूजर के डिवाइस पर संग्रहीत रहती है, किसी केंद्रीय भंडार में नहीं। एप अनइंस्टॉल करने पर डेटा पूरी तरह डिलीट हो जाता है।”
मंत्रालय ने आगे लिखा, ”एयरपोर्ट सिस्टम उड़ान प्रस्थान के 24 घंटे के भीतर यात्रियों का डेटा स्वयं हटा देता है। डिजी यात्रा एप केवल घरेलू यात्रियों के लिए डिजाइन की गई है और यह अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर लागू नहीं होती है।”
डिजी यात्रा के सीईओ सुरेश खडकभवी ने भी इन दावों को खारिज करते हुए लिखा, “डिजी यात्रा यूजर्स के बायोमेट्रिक या निजी डेटा का कोई केंद्रीय भंडारण नहीं किया जाता। यदि कोई यूजर एप को अनइंस्टाल करता है, तो उनका डेटा पूरी तरह से हटा दिया जाता है।”
सोशल मीडिया पर खडकभवी ने लिखा, “डिजी यात्रा डेटा के दुरुपयोग के बारे में ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट ‘अज्ञात स्रोतों’ पर आधारित है और इसमें किए गए दावे पूरी तरह से निराधार हैं। यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि डिजी यात्रा किसी भी केंद्रीय भंडार में कोई ‘व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी’ संग्रहीत किए बिना काम करती है। इससे यूजर्स की गोपनीयता सुरक्षित रहती है।”
पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर की भी जांच की। शुरुआत में इस रिपोर्ट में ‘अज्ञात सूत्रों’ के हवाले से दावा किया गया था कि आयकर विभाग डिजी यात्रा के डेटा के आधार पर टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। हालांकि, आयकर विभाग, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डिजी यात्रा की प्रतिक्रिया के बाद इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया गया।
पूरी फैक्ट चेक रिपोर्ट यहां पढ़ें : https://bit.ly/4gZ2Osg
पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क की जांच से यह स्पष्ट है कि डिजी यात्रा डेटा की मदद से टैक्स चोरी करने वालों पर नकेल कसने का दावा पूरी तरह से गलत है। आयकर विभाग, डिजी यात्रा और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी इस खबर को ‘निराधार’ बताते हुए इसे खारिज कर दिया है।
सोशल मीडिया पर वायरल किसी भी दावे की सच्चाई या सत्यापन के लिए पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क के व्हाट्सएप नंबर +91-8130503759 पर संपर्क करें।
(पीटीआई फैक्ट चेक)
साजन
पवनेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कर चोरी रोकने को आयकर विभाग की ओर से डिजीएप…
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