नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) गैर सरकारी संगठन ‘नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड’ (एनपीआरडी) ने दावा किया है कि लंबे समय तक कारावास और अपर्याप्त चिकित्सा देखभाल के कारण दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर एवं दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता जी एन साईबाबा की पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ गईं जो उनकी असामयिक मृत्यु का कारण बनीं।
माओवादियों से कथित संबंधों के एक मामले में महज सात महीने पहले बरी किए गए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा का ऑपरेशन के बाद की समस्याओं के कारण शनिवार को यहां एक सरकारी अस्पताल में निधन हो गया। वह 54 वर्ष के थे।
एनजीओ ने एक बयान में साईबाबा के कारावास के दौरान सामने आई चुनौतियों और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को रेखांकित किया।
पूर्व प्रोफेसर साईबाबा पोलियो से पीड़ित थे और कई गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों से प्रभावित थे। आरोपों के आधार पर 10 साल जेल में रखने के बाद साईबाबा को कुछ महीने पहले ही रिहा किया गया था। एनपीआरडी ने उन आरोपों को ‘‘झूठा’’ करार दिया।
उसने कहा कि उनकी रिहाई को न्याय की जीत के रूप में सराहा गया, लेकिन उनकी स्वतंत्रता दुखद रूप से अल्पकालिक रही।
‘नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड’ (एनपीआरडी) के अनुसार, साईबाबा की लंबी कैद और अपर्याप्त चिकित्सा देखभाल ने उनकी पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं को और बढ़ा दिया, जिससे उनकी असामयिक मृत्यु हो गई।
उसने कहा कि कारावास के दौरान, साईबाबा की रीढ़ की हड्डी और तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार बिगड़ गए और गिरफ्तारी के दौरान लगी चोट के कारण उनके एक हाथ ने काम करना बंद कर दिया।
एनजीओ ने आरोप लगाया कि वह तीव्र अग्नाशयशोथ और गालब्लेडर की पथरी से भी पीड़ित थे, जिसके लिए बार-बार अनुरोध करने के बावजूद उन्हें आवश्यक सर्जरी से वंचित कर दिया गया था।
एनपीआरडी ने इस इनकार को ‘‘हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली की एक दुखद व्याख्या’’ के रूप में उल्लेखित किया। उन्होंने फादर स्टेन स्वामी के समान मामले का उल्लेख किया, उनकी भी हिरासत के दौरान मृत्यु हो गई थी।
एनपीआरडी ने साईबाबा को जिन स्थितियों में जेल में रखा गया था उसका लगातार विरोध किया था और उसे ‘‘जीवन, सम्मान और स्वास्थ्य के उनके अधिकारों का उल्लंघन’’ करार दिया था।
संगठन ने उचित आवास और चिकित्सा उपचार प्रदान करने में विफलता की आलोचना की, जिसके बारे में उसने कहा कि यह दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने वाली अंतरराष्ट्रीय संधियों और घरेलू कानूनों, दोनों का उल्लंघन है।
एनपीआरडी के महासचिव मुरलीधरन ने हाशिए पर पड़े और दलितों के लिए लड़ने वाले साईबाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनकी मृत्यु न्याय और मानवाधिकारों के आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण क्षति है।
भाषा अमित संतोष
संतोष
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