श्रीनगर, 17 सितंबर (भाषा) प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के पूर्व महासचिव गुलाम कादिर लोन ने कहा कि संगठन ने सरकार के प्रतिनिधियों के साथ अपनी बैठकों में साफ कर दिया कि संगठन पर प्रतिबंध अवैध है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने संगठन की मौजूदा विवादास्पद स्थिति, प्रतिबंध हटाने के लिए सरकार से बातचीत करने के हालिया प्रयासों और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले पार्टी द्वारा समर्थित नौ उम्मीदवारों के बारे में भी बात की।
लोन ने सोशल मीडिया पर प्रसारित एक अहस्ताक्षरित पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियां प्रतिबंधित हैं हालांकि उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि संगठन ने प्रतिबंध पर केंद्र के साथ बातचीत के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया है।
पत्र में दावा किया गया कि जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव में भाग लेने के लिए मंजूरी नहीं दी गयी।
लोन ने इस बात पर जोर दिया कि समिति अंतिम मजलिस-ए-शूरा के समर्थन से काम करती है, जो प्रतिबंध लगाए जाने से पहले जमात की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था थी।
उन्होंने कहा, “सरकार के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के दौरान हमने यह स्पष्ट कर दिया कि जमात पर प्रतिबंध अवैध है और हमने उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।”
उन्होंने कहा कि जमात ने संसदीय चुनावों में भाग लेने का फैसला किया था और यह एक ऐसा कदम था, जिसने कश्मीर में मतदान में वृद्धि में योगदान दिया।
उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक गलियारे में इस निर्णय का स्वागत किया गया।”
लोन ने कहा कि हम हालांकि इस बात से निराश हैं कि हमारे दो लोकसभा सदस्यों ने संसद में प्रतिबंध का मुद्दा नहीं उठाया, जिससे हमें ऐसा महसूस हो रहा है कि हमें धोखा दिया गया है।
भाषा जितेंद्र माधव
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