नयी दिल्ली: Modi on the schemes giving freebies: पीएम मोदी के साथ बैठक में कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने कई राज्यों द्वारा घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जाहिर की है और दावा किया कि वे आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं और जिससे देश की हालत श्रीलंका जैसी हो सकती है। यह बात सूत्रों ने रविवार को कही। पीएम मोदी ने शनिवार को 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी बैठक की थी । बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष नौकरशाह भी शामिल हुए।
read more: देश में ‘प्रधानमंत्री जनधन लूट योजना’ लागू, महंगाई को लेकर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला
Modi on the schemes giving freebies: सूत्रों की माने तो बैठक के दौरान, मोदी ने नौकरशाहों से स्पष्ट रूप से कहा कि वे कमियों के प्रबंधन की मानसिकता से बाहर निकलकर अधिशेष के प्रबंधन की नयी चुनौती का सामना करें। सूत्रों ने कहा कि मोदी ने प्रमुख विकास परियोजनाओं को नहीं लेने के बहाने के तौर पर ‘‘गरीबी’’ का हवाला देने की पुरानी कहानी को छोड़ने और उनसे एक बड़ा दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा।
read more: खाताधारक ध्यान दें.. देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक का होने जा रहा है विलय, अब ग्राहकों के जमा रकम का क्या होगा?
कोविड-19 महामारी के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया, उसका उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में कार्य करना चाहिए, न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने सचिवों से प्रतिपुष्टि (फीडबैक) देने और सरकार की नीतियों में खामियों पर सुझाव देने के लिए भी कहा, जिनमें वे भी शामिल हैं जो उनके संबंधित मंत्रालयों से संबंधित नहीं हैं।
read more: Petrol-Diesel Price Hike Today: नहीं थम रहा पेट्रोल-डीजल का दाम, आज फिर बढ़े, 14 दिनों में 8.40 रुपए महंगा हुआ तेल
सूत्रों ने कहा कि 24 से अधिक सचिवों ने अपने विचार व्यक्त किए और प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा की, जिन्होंने उन सब को ध्यान से सुना। सूत्रों ने कहा कि दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है। उन्होंने साथ ही अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं।
read more: कोरोना ने फिर बदला अपना रूप, यहां मिला नया वेरिएंट, बच्चों को मां-बाप से रखा जा रहा है अलग
श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। लोगों को ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है, आवश्यक चीजों की आपूर्ति कम है। साथ ही लोग लंबे समय तक बिजली कटौती के कारण हफ्तों से परेशान हैं।