बिना पूर्व सोच के भ्रष्टाचार और धोखधड़ी करना असंभव : उच्च न्यायालय |

बिना पूर्व सोच के भ्रष्टाचार और धोखधड़ी करना असंभव : उच्च न्यायालय

बिना पूर्व सोच के भ्रष्टाचार और धोखधड़ी करना असंभव : उच्च न्यायालय

:   Modified Date:  July 5, 2024 / 07:30 PM IST, Published Date : July 5, 2024/7:30 pm IST

जम्मू, पांच जुलाई (भाषा) जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने रामबन जिले में रिश्वत लेते हुए हाल में गिरफ्तार एक सरकारी अधिकारी को जमानत देने से इनकार करते हुए टिप्पणी की कि बिना गंभीर पूर्व विचार के धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार या अन्य सफेदपोश अपराध असंभव हैं।

बनिहाल तहसीलदार कार्यालय में कानूनगो (राजस्व अधिकारी) के पद पर तैनात मोहम्मद इशाक भट को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 27 मई को भूमि विवाद को सुलझाने के लिए 18 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।

भट की पत्नी ताहिरा बेगम ने पति को न्यायिक हिरासत से रिहा कराने के लिए जमानत अर्जी दी थी। भट इस समय जम्मू के अमफल्ला जिला कारागार में बंद है।

भट की जमानत अर्जी पर तीन जुलाई को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन ने सीबीआई की वकील मोनिका कोहली से सहमति जताते हुए कहा, ‘‘इस अदालत की राय इससे अलग है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराध को भी उन्हीं मानदंडों के आधार पर निपटाया जा सकता है जो मानव शरीर के विरुद्ध अपराधों या अन्य प्रकार के अपराधों पर लागू होते हैं।’’

न्यायधीश ने कहा, ‘‘यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि मानव शरीर के विरुद्ध अपराध आवेश में किया गया अपराध हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी एक व्यक्ति बिना किसी पूर्व-योजना और बिना किसी तैयारी के, क्रोध में आकर दूसरे व्यक्ति की जान ले सकता है। हालांकि, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और अन्य सफेदपोश अपराधों को गंभीर पूर्व सोच के बिना अंजाम देना असंभव है।’’

उन्होंने कहा कि पीड़ित से आरोपी तक धनराशि का प्रभावी हस्तांतरण करने से पहले सुदृढ़ योजना, व्यवस्था और सह-आरोपी व्यक्तियों के साथ तालमेल की आवश्यकता होती है।

भाषा धीरज वैभव

वैभव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)