गुवाहाटी, 26 मार्च (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी ने सूअरों और जंगली सूअरों में स्वाइन फीवर वायरस से निपटने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले टीकों में विशेषज्ञता वाली एक विनिर्माण कंपनी को एक ‘अग्रणी’ टीका प्रौद्योगिकी सफलतापूर्वक हस्तांतरित की है। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति से मिली।
यह टीका भारत में विकसित स्वाइन फीवर के लिए पहला ‘रीकॉम्बीनेंट’ वायरस-आधारित समाधान है, जो सुअरों के टीकाकरण के लिए एक किफायती तरीका पेश करता है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि नवोन्मेषी टीके के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी बायोमेड प्राइवेट लिमिटेड को सफलतापूर्वक हस्तांतरित कर दी गई है।
सूअरों के लिए टीका एक ‘रिवर्स जेनेटिक प्लेटफॉर्म’ का उपयोग करता है जिसे आईआईटी गुवाहाटी में परिष्कृत किया गया है।
स्वाइन फीवर, सूअरों में एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, जो बहुत अधिक मृत्यु दर के साथ एक गंभीर खतरा पैदा करती है। हालांकि यह मनुष्यों को प्रभावित नहीं करती।
भारत में, इस बीमारी के मामले उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ-साथ बिहार, केरल, पंजाब, हरियाणा और गुजरात सहित अन्य राज्यों में अक्सर देखे गए हैं।
टीके पर काम 2018-19 में आईआईटी गुवाहाटी में बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग और गुवाहाटी में असम कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के बीच सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से शुरू किया गया था।
भाषा अमित नरेश
नरेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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