आईआईएससी के वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क से प्रेरित एनालॉग कंप्यूटिंग मंच विकसित किया |

आईआईएससी के वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क से प्रेरित एनालॉग कंप्यूटिंग मंच विकसित किया

आईआईएससी के वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क से प्रेरित एनालॉग कंप्यूटिंग मंच विकसित किया

:   Modified Date:  September 12, 2024 / 04:13 PM IST, Published Date : September 12, 2024/4:13 pm IST

बेंगलुरु, 12 सितंबर (भाषा) भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के अनुसंधानकर्ताओं ने मस्तिष्क से प्रेरित ‘एनालॉग कंप्यूटिंग’ मंच विकसित किया है और उनका मानना ​​है कि यह एक परिवर्तनकारी कदम है तथा औद्योगिक, उपभोक्ता और रणनीतिक अनुप्रयोगों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

आईआईएससी ने बताया कि प्रतिष्ठित पत्रिका ‘नेचर’ में 11 सितंबर को प्रकाशित यह अनुसंधानपत्र पारंपरिक डिजिटल कंप्यूटर की तुलना में एक बड़ा कदम है, जिसमें डेटा भंडारण और प्रसंस्करण केवल दो अवस्थाओं तक सीमित हैं।

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक ऐसा मंच संभावित रूप से जटिल कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) कार्यों को, जैसे ‘लार्ज लैंग्वेज मॉडल’ (एलएलएम) को लैपटॉप और स्मार्टफोन जैसे व्यक्तिगत उपकरणों में इस्तेमाल करने की क्षमता प्रदान कर सकता है।

संस्थान ने एक विज्ञप्ति में कहा कि ऊर्जा की कम खपत वाले हार्डवेयर की कमी के कारण ऐसे विकास वर्तमान में भारी डेटा केंद्रों तक ही सीमित हैं।

आईआईएससी के नैनो विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केंद्र (सीईएनएसई) के सहायक प्रोफेसर एवं अनुसंधान टीम के प्रमुख श्रीतोष गोस्वामी ने बताया, ‘‘न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग के सामने एक दशक से अधिक समय से कई अनसुलझी चुनौतियां हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस खोज के साथ, हमने लगभग पूर्ण प्रणाली प्राप्त कर ली है। यह एक दुर्लभ उपलब्धि है।’’

प्रणाली के केंद्र में स्थित मॉलिक्यूलर व्यवस्था को सीईएनएसई के अतिथि प्रोफेसर श्रीब्रत गोस्वामी ने डिज़ाइन किया था।

आईआईएससी के अनुसार, अधिकांश एआई ‘एल्गोरिदम’ में अंतर्निहित मूल ऑपरेशन काफी बुनियादी हैं – मैट्रिक्स गुणन एक अवधारणा है जो उच्च माध्यमिक कक्षा में गणित विषय के तहत पढ़ाई जाती है। लेकिन डिजिटल कंप्यूटर में इन गणनाओं में बहुत ज्यादा ऊर्जा की ज़रूरत होती है। आईआईएससी की टीम द्वारा विकसित मंच समय और ऊर्जा दोनों में बहुत कमी कर देता है, जिससे ये गणनाएं बहुत तेज़ और आसान हो जाती हैं।

गोस्वामी ने बताया, ‘‘इस परियोजना ने विद्युत इंजीनियरिंग की परिशुद्धता को रसायन विज्ञान की रचनात्मकता के साथ जोड़ दिया, जिससे हमें मॉलिक्यूलर गतिकी को सटीकता के साथ नियंत्रित करने में मदद मिली।’’

आईआईएससी ने कहा, ‘‘इन सूक्ष्म मॉलिक्यूलर बदलावों का उपयोग करके टीम ने एक अत्यधिक सटीक और कुशल न्यूरोमॉर्फिक एक्सीलेटर बनाने में मदद की, जो मानव मस्तिष्क के समान, एक ही स्थान पर डेटा को संग्रहीत और संसाधित कर सकता है।’’

इसने इस वैज्ञानिक खोज को एक तकनीकी उपलब्धि में बदल दिया।

इस अनुसंधान टीम में आईआईएससी के कई छात्र और शोधार्थी शामिल हैं। उन्होंने टेक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टेनली विलियम्स और यूनिवर्सिटी ऑफ लिमरिक के प्रोफेसर डेमियन थॉम्पसन के साथ भी सहयोग किया।

अनुसंधानकर्ताओं का मानना ​​है कि यह सफलता एआई हार्डवेयर के क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी छलांगों में से एक हो सकती है, जो देश को वैश्विक प्रौद्योगिकी नवाचार के मानचित्र पर ला खड़ा करेगी। सीईएनएसई के प्रोफेसर और सिलिकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स के विशेषज्ञ नवकांत भट ने इस परियोजना में सर्किट और सिस्टम डिजाइन का नेतृत्व किया।

गोस्वामी ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने जटिल भौतिकी और रसायन विज्ञान की समझ को एआई हार्डवेयर के लिए अभूतपूर्व प्रौद्योगिकी में बदल दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सेमीकंडक्टर मिशन के संदर्भ में, यह विकास एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम साबित हो सकता है, जो औद्योगिक, उपभोक्ता और रणनीतिक अनुप्रयोगों में क्रांति लाएगा।’’

भाषा धीरज अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)