(कुणाल दत्त)
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) केंद्र सरकार के एक सांस्कृतिक निकाय ने पुराने प्रिंट विज्ञापनों से लेकर क्लासिक टीवी स्पॉट तक भारत में प्रकाशित ‘पुराने विज्ञापनों का भंडार’ बनाने की योजना बनाई है, जिनकी अभिलेखीय और कलात्मक अहमियत है।
यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने 25-30 मार्च तक एक प्रदर्शनी आयोजित की, जिसमें 1950-90 के दौरान विकसित हुई भारतीय विज्ञापन कला को दर्शाया गया है।
‘विज्ञापन कला प्रदर्शनी: भारतीय विज्ञापन के चार दशक’ नामक यह प्रदर्शनी आईजीएनसीए में आयोजित की गयी। आईजीएनसीए संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
प्रदर्शनी में निजी संग्रह से लिए गए कई प्रिंट विज्ञापनों की तस्वीरें शामिल हैं। उनमें खाने-पीने की चीजों से लेकर छत के पंखे और जूतों से लेकर साइकिल तक के विज्ञापन बीते हुए दौर को दर्शाते हैं।
आईजीएनसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ये विज्ञापन 1950-90 के दौरान भारतीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए थे और हमने उन लोगों से संपर्क किया जिनके पास ये पुरानी पत्रिकाएं थीं और उन्हें खरीदा। शुरुआत में हमने इनमें छपे विज्ञापनों को छांटकर प्रदर्शनी के लिए स्कैन प्रतियां बनाईं, लेकिन अब हमारी योजना इन पत्रिकाओं को भी अपने अभिलेखागार में संरक्षित करने की है।’’
इन पुरानी पत्रिकाओं में ‘धर्मयुग’, ‘माधुरी’ और ‘फिल्मफेयर’ शामिल हैं।
कुछ दुर्लभ प्रिंट विज्ञापनों में ‘लक्स’ साबुन ब्रांड के विज्ञापन भी शामिल हैं, जिनमें ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ सिनेमा युग की नायिका निम्मी को इसका समर्थन करते हुए दर्शाया गया है।
सन 1957 में ‘धर्मयुग’ में प्रकाशित इस विज्ञापन में निम्मी का चित्र और विज्ञापन की पंक्तियां हैं, जिसमें ग्राहकों से ‘चमकती त्वचा’ के लिए इस उत्पाद का उपयोग करने का आग्रह किया गया है।
बाद के दशकों में, उस दौर की अन्य फ़िल्मी सितारों जैसे वहीदा रहमान, नंदा, अनीता गुहा और शशिकला ने भी इस प्रसिद्ध साबुन ब्रांड का विज्ञापन किया।
प्रदर्शनी में विज्ञापन के कलात्मक मूल्य पर भी प्रकाश डाला गया है, क्योंकि पिछले कुछ दशकों में इसमें काफी विकास हुआ है।
प्रदर्शित कुछ प्रिंट विज्ञापन ऐसे ब्रांडों के हैं जो अपने क्लासिक विज्ञापनों और ‘पंचलाइन’ के लिए भी प्रसिद्ध हैं, जैसे खेतान और बजाज पंखे, चेरी ब्लॉसम शूशाइन, बाटा जूते और ब्रुक बॉन्ड की ताजमहल चाय जिसकी ‘टैगलाइन’ ‘वाह ताज’ है।
आईजीएनसीए के मीडिया सेंटर के नियंत्रक अनुराग पुनेथा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अब हम एक कदम आगे बढ़कर आईजीएनसीए में ऐसे पुराने विज्ञापनों का संग्रह बनाने की योजना बना रहे हैं, जो प्रिंट और दृश्य-श्रव्य दोनों प्रारूपों में उपलब्ध होंगे।’’
भाषा राजकुमार रंजन
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