लिखने के लिए कोई महामानव है तो केवल राम हैं, राम पर लिखने से लेखनी धन्य हो जाएगी : योगी |

लिखने के लिए कोई महामानव है तो केवल राम हैं, राम पर लिखने से लेखनी धन्य हो जाएगी : योगी

लिखने के लिए कोई महामानव है तो केवल राम हैं, राम पर लिखने से लेखनी धन्य हो जाएगी : योगी

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Modified Date: March 21, 2025 / 03:41 PM IST
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Published Date: March 21, 2025 3:41 pm IST

अयोध्या (उप्र) 21 मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने शुक्रवार को महर्षि नारद को उद्धृत करते हुए कहा कि इस धरती पर लिखने के लिए कोई महामानव है तो वह केवल राम हैं, राम पर लिखेंगे तो लेखनी धन्य हो जाएगी।

यहां साहित्यकार यतीन्द्र मिश्र द्वारा आयोजित एक साहित्‍य उत्‍सव को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या में सूर्यवंश की परंपरा में एक अवतार के रूप में मानवीय मर्यादा और आदर्श के सर्वोत्तम स्वरूप प्रभु श्री राम हैं जिनकी पावन धरा पर आयोजित यह सम्मेलन अदभुत हैं।

मुख्‍यमंत्री ने कहा,‘‘मैं अद्भुत इसलिए कहूंगा कि इतने वर्षों तक अयोध्या मौन रही, जबकि यह सत्य है कि जिसने राम पर लिखा वह महान हुआ।’’

उन्होंने कहा कि महर्षि नारद ने महर्षि वाल्मीकि को प्रेरणा दी कि इस धरती पर लिखने के लिए कोई महामानव है तो वह केवल राम हैं, राम पर लिखोगे तो लेखनी धन्य हो जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ अयोध्या भारत के सनातन धर्म की एक आधारभूमि है। सप्तपुरियों में प्रथम पुरी है। सनातन काल से ही सनातन धर्म की प्रेरणा स्थली रही है।’’

उन्होंने कहा कि भगवान ऋषभदेव से चली परंपरा, जिसके तहत भगवान मनु ने पृथ्वी पर मनुष्य के रहने की व्यवस्था तय की, जिसे आप मानव धर्म कह सकते हैं, उसकी शुरुआती भूमि अयोध्या है।

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि व्यावहारिक संस्कृति पर दुनिया का पहला महाकाव्य रामायण बना जो साहित्य का आधारभूमि है तथा आप वैदिक संस्‍कृति से व्यावहारिक संस्कृति में आ गये।

उन्होंने कहा कि व्यावहारिक संस्‍कृति से कैसे अपनी लेखनी को धन्य करना है, यह सीखना है तो महर्षि वाल्मीकि के शरण में जाएं, जिन्‍होंने राम को आधार बनाकर महाकाव्य की रचना कर डाली, उससे पहले उस प्रकार का महाकाव्य किसी ने नहीं रचा।

योगी का कहना था कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम उसकी आत्मा बने, अयोध्‍या उसका आधार बनी तो साहित्य की एक नयी विधा का सृजन हो गया। फिर यह आमजन के लिए लोकप्रिय हुई और केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के हर भाषा में रामायण और रामचरितमानस किसी न किसी रूप में हृदय को जरूर छू रही है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार योगी ने इसके पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अशोक के पौधे को जल अर्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

साहित्यिक महोत्सव में सबसे पहले मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया।

योगी ने कहा कि अयोध्या में 2016-17 में पूरे साल भर मात्र 2.34 लाख श्रद्धालु अयोध्या आते थे, लेकिन आज 16 करोड़ से अधिक लोग यहां भगवान श्री राम का दर्शन करने आ रहे हैं– यह अयोध्या की बढ़ती महिमा और भव्यता का प्रतीक है।

उन्होंने महर्षि वाल्मीकि के रामायण और संत तुलसीदास के रामचरितमानस की रचना का उल्लेख करते हुए कहा कि अयोध्या हमेशा से साहित्य और संस्कृति का केंद्र रही है।

योगी ने कहा कि भगवान मनु ने यहीं से मानव धर्म की नींव रखी और यही भूमि श्री हरि विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम की कर्मभूमि बनी।

उन्होंने कहा कि रामायण दुनिया का पहला महाकाव्य बना, जिसने साहित्य को नई दिशा दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार महर्षि वाल्मीकि ने राम कथा को विश्वभर में अमर कर दिया, उसी प्रकार आज भी अयोध्या से जुड़ी हर रचना लोगों के हृदय को छूती है।

उन्होंने कहा कि रामायण और रामचरितमानस आज भी दुनिया के हर कोने और देश के हर घर में पढ़े और सराहे जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने राम मंदिर आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि अयोध्या को वह सम्मान मिलना चाहिए, जिसकी वह सदियों से हकदार रही है।

उन्होंने बताया कि 2017 में जब अयोध्या में दीपोत्सव मनाने की योजना बनाई, तब कुछ लोगों ने इसे लेकर सवाल उठाए, लेकिन आज लाखों करोड़ों श्रद्धालु दीपोत्सव में शामिल होते हैं।

उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में पढ़ने-लिखने की परंपरा बाधित हो रही है, लेकिन साहित्य उत्सव जैसे आयोजन इसे पुनर्जीवित करने में मददगार साबित होंगे।

योगी ने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा,‘‘ मुझे एक बार यूरोप जाने का अवसर मिला। वहां एक टैक्सी ली। टैक्सी वाले से पूछा , ‘तुम कहां के रहने वाले हो?’ तो उसने कहा, ‘पंजाब का।’ फिर मैंने कहा कि पंजाब में कहां से। थोड़े संकोच के बाद उसने कहा , ‘मैं पाकिस्तान वाले पंजाब से हूं।’ मैंने पूछा, ‘पहले तुमने भारतीय क्यों कहा।’ तो उसने कहा, ‘हम भारतीय कहने पर ‘सेफ (सुरक्षित)’ रहते हैं।’ अगर हम पाकिस्तान का बोलें तो पता नहीं क्या हो जाए। यह स्थिति आज दुनिया के अंदर है।’’

उन्होंने कहा कि भारत के प्रति सम्मान का भाव है, लेकिन जिन्होंने दुनिया को आतंकवाद का भाव दिया उनके प्रति उतनी ही नफरत दुनिया के मन में भी है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने विरासत और विकास को साथ जोड़कर भारत की परंपराओं को पुनर्जीवित करने का कार्य किया है, जिससे एक बड़ी शुरुआत हुई है।

इस समारोह में अयोध्या के प्रभारी एवं उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पद्मश्री मालिनी अवस्‍थी समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित थे।

भाषा आनन्‍द नरेश राजकुमार

राजकुमार

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