आईसी-814, ‘लाल बैग’ और तालिबान : पूर्व राजनयिक ने नयी पुस्तक में कंधार घटना का वृत्तांत लिखा |

आईसी-814, ‘लाल बैग’ और तालिबान : पूर्व राजनयिक ने नयी पुस्तक में कंधार घटना का वृत्तांत लिखा

आईसी-814, ‘लाल बैग’ और तालिबान : पूर्व राजनयिक ने नयी पुस्तक में कंधार घटना का वृत्तांत लिखा

:   Modified Date:  September 13, 2024 / 07:53 PM IST, Published Date : September 13, 2024/7:53 pm IST

नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) आईसी-814 के बंधक कंधार में आठ दिनों तक आतंक के खौफ का सामना करने के बाद जब वापस लौटने वाले थे, तो एक अपहरणकर्ता ने तत्कालीन मुख्य वार्ताकार एवं मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को ‘‘चुपके से’’ यह बताया था कि विमान में ‘‘नये साल का एक तोहफा’’ छोड़ा गया है।

इस्लामाबाद में नियुक्त रहे भारतीय राजनयिक ए.आर. घनश्याम अफगानिस्तान के कंधार गए थे और अपहरणकर्ताओं से बातचीत की शुरुआत की थी।

उन्होंने अपनी पत्नी एवं पूर्व राजनयिक रुचि घनश्याम द्वारा लिखित पुस्तक ‘एन इंडियन वुमन इन इस्लामाबाद’ के एक अध्याय में इस बारे में विस्तार से बताया है।

‘ओवर द टॉप’ (ओटीटी) पर ‘आईसी-814: द कंधार हाईजैक’ ने 24 दिसंबर-31 दिसंबर 1999 के विमान अपहरण की घटना के प्रति एक बार फिर से लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। विमान अपहरण के कारण भारत को बंधकों की जान के बदले में तीन आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा था।

ओटीटी (ओवर द टॉप) इंटरनेट पर स्ट्रीमिंग सेवाओं के माध्यम से वीडियो सामग्री उपलब्ध कराने का साधन है।

ए.आर. घनश्याम, उस समय इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में वाणिज्यिक परामर्शदाता थे। उन्हें सूचना मिली कि विमान में ‘‘कुछ ऐसा रखा हुआ है जिसमें आधी रात को विस्फोट कर दिया जाएगा।’’

पुस्तक में लिखा है, ‘‘अपहरणकर्ताओं में से एक ने चुपके से डोभाल को बताया था कि आईसी-814 विमान में भारत सरकार के लिए नये साल का तोहफा छोड़ा गया है… मैं पायलट और चालक दल के सदस्यों की जान जोखिम में नहीं डाल सकता था। विमान को आठ दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया था। ‘लाल बैग’ का रहस्य भी था। यह ‘लाल बैग’ क्या था? इसका मालिक कौन था?’’

पुस्तक के अनुसार, लाल बैग का रहस्य दो साल बाद ही खुल सका, जब 2001 में तालिबान की हार के बाद तत्कालीन तालिबानी विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तावकील को अमेरिका ने गिरफ्तार कर लिया।

घनश्याम ने पुस्तक में बताया है कि ‘लाल बैग’ अपहरणकर्ताओं में से एक का था, इसमें विस्फोटक और संभवतः असली पासपोर्ट भी थे। जल्दबाजी में वे (अपहरणकर्ता) इसे ‘होल्ड’ में भूल गए थे। इसे लेने के लिए उनके वापस आने तक, बंधकों को रिहा कर दिया गया था।

उन्होंने लिखा है, ‘‘एक दूसरे विमान से, एक-एक कर उतारे गए तीनों कैदियों को तालिबान के प्रतिनिधियों ने अपने सुरक्षा घेरे में ले लिया। अपहरणकर्ता भी तीनों कैदियों के पास गए, जिसके बाद वे सभी वहां से चले गए। फिर, थक कर चूर हो चुके यात्रियों ने बदबू भरे विमान से बाहर निकलने पर राहत की कुछ सांस ली।’’

घनश्याम को अपहरण किये गए विमान में ईंधन भरवाने की व्यवस्था करने और उसे वापस लाने के लिए कंधार में ही रूकने को कहा गया था।

एक फ्लाइट इंजीनियर और दो पायलट सहित चालक दल के 13 सदस्य, इंडियन एयरलाइंस के उप प्रबंध निदेशक कैप्टन जे आर डी राव और कैप्टन सूरी भी कंधार में ही रूक गए थे।

घनश्याम ने बताया कि उन्हें यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि चालक दल और दो राहत कैप्टन विमान के आस-पास न जाएं और वे ‘लाल बैग’ को और उसमें रखी चीजों को देखने खुद से न जाएं।

हालांकि, उनका दावा है कि यह मुत्तावकील ही था जिसने ‘‘अवैध कृत्य किया, हमारे भरोसे को तोड़ा, और जबरदस्ती होल्ड खुलवाया, और सभी लाल बैग बाहर निकलवाए।’’

उन्हें याद है कि तालिबान अधिकारी वहां फंसे विमान में ईंधन भरने में देरी कर रहे थे और अपहरणकर्ताओं से संबंधित एक बैग को बाहर निकालने को इच्छुक थे।

उन्होंने पुस्तक में कहा है ‘‘मिस्टर मुत्तावकील अब भी हवाई अड्डे पर थे, और मैं कैप्टन सूरी के साथ उनके पास गया और उन्हें समस्या से अवगत कराया तथा उनसे अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को विमान के शीघ्र उड़ान भरने में सहायता करने की सलाह दें।’’

पुस्तक के अनुसार, ‘‘लेकिन तालिबान अधिकारी अभी भी होल्ड को देखने और अपहरणकर्ताओं के लाल सूटकेस की तलाश करने की कोशिश कर रहे थे। मैंने यह बात विदेश सचिव और संयुक्त सचिव ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान (आईपीए) के संज्ञान में लाई, जो यात्रियों और प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों के साथ नयी दिल्ली पहुंच चुके थे।’’

घनश्याम ने कंधार में मुत्तावकील द्वारा इस्तेमाल की गई लाल रंग की एक ‘पजेरो’ के बारे में भी विस्तार से बताया है, जो होल्ड के ठीक सामने खड़ी थी, जबकि अन्य लोग लाल बैग के लिए विमान की तलाशी ले रहे थे।

पुस्तक में लिखा गया है, ‘‘यह पुष्टि नहीं की जा सकी कि वाहन में कौन था क्योंकि उसके शीशे काले थे… कैप्टन राव ने मुझे बताया कि उस समय उन्होंने लोगों को ‘होल्ड’ से हर लाल बैग निकालते और कार की ओर दिखाते और फिर उसे वापस ‘होल्ड’ में ले जाते देखा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगा कि शायद अपहरणकर्ताओं में से एक या अधिक या उनका कोई करीबी जो उस ‘लाल सूटकेस’ को पहचान सकता था, लाल रंग की पजेरो कार में बैठा हुआ है और लाल बैग की पहचान करने और उसे बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है।’’

घनश्याम ने लिखा है कि कैप्टन सूरी को बाद में एक स्थानीय कार्यकर्ता से पता चला कि उन्हें ‘‘एक बैग मिला था और उसमें पांच ग्रेनेड थे।’’

‘पेंग्विन रैंडम हाऊस इंडिया’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक के अनुसार, अंततः अगली सुबह एक जनवरी 2000 को, ‘‘विमान को ईंधन दिया गया, इंजन की जांच की गई, और अफगान समय के अनुसार पूर्वाह्न 09:43 बजे उसने उड़ान भरी।’’

घनश्याम उसी दिन इस्लामाबाद के लिए संयुक्त राष्ट्र के विमान में सवार हुए।

काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरने के बाद, इंडियन एयरलाइंस के विमान का 24 दिसंबर 1999 का पांच लोगों ने अपहरण कर लिया था और कई बार उसका मार्ग बदला गया। आखिर में, तालिबान के नियंत्रण वाले क्षेत्र में उसे उतारा गया।

भाषा सुभाष प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)