नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोधरा कांड के बाद पैदा स्थिति और गुजरात में आतंकी हमलों समेत कई घटनाओं का जिक्र करते हुए शुक्रवार को बताया कि कैसे वह चिंता व व्याकुलता से उबरने के लिए अपनी भावनाओं से खुद को अलग करने की कोशिश करते हैं।
शेयर बाजार निवेश मंच ‘जेरोधा’ के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट में संवाद के दौरान जब मोदी से पूछा गया कि क्या उन्हें कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा जब वह व्याकुल हो गए हों या फिर चिंतित जैसे आजकल के युवा हो जाते हैं, इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर ऐसी स्थितियां पैदा होती हैं… लेकिन हर किसी के पास ऐसी परिस्थितियों का सामना करने की अलग शैली और क्षमता होती है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसी स्थिति में हूं जहां मुझे भावनाओं और मनुष्य की प्राकृतिक प्रवृत्तियों से खुद को अलग करना है। मुझे इससे ऊपर उठना होता है।’
उन्होंने साल 2002 के गुजरात चुनाव को याद करते हुए इसे अपने जीवन की ‘सबसे बड़ी परीक्षा’ करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘मैं टीवी नहीं देख रहा था, दोपहर में मैंने अपने घर के बाहर ढोल की आवाज़ें सुनी। मैंने लोगों से कहा था कि दोपहर तक मुझे परिणामों के बारे में न बताएं। तब मुझे एक पत्र भेजा गया था कि हम दो तिहाई बहुमत से आगे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इसका मुझ पर कोई प्रभाव पड़ा, चाहे आप इसे बेचैनी कहें या चिंता या व्याकुलता। लेकिन इस पर काबू पाने का विचार था।’
उन्होंने कहा, ”एक बार पांच स्थानों पर विस्फोट हुए… मुख्यमंत्री के रूप में मेरी स्थिति की कल्पना कीजिए। मैंने कहा कि मैं पुलिस कंट्रोल रूम जाना चाहता हूं, लेकिन मेरे सुरक्षाकर्मियों ने यह कहते हुए मना कर दिया कि यह जोखिम भरा है। मैंने जोर देकर कहा कि मैं जाऊंगा। मैं कार में जाकर बैठ गया और कहा कि मैं पहले अस्पताल जाऊंगा। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में भी धमाके हुए हैं, लेकिन मैंने जोर देकर कहा कि मैं जाऊंगा। आप कह सकते हैं कि मुझमें चिंता, बेचैनी थी। लेकिन मेरा तरीका था कि मैं अपने मिशन में पूरी तरह से शामिल रहूं। जिम्मेदारी की भावना हावी हो।’
मोदी ने 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड को भी याद किया जिसमें अयोध्या से लौट रहे कई कारसेवक मारे गए थे।
उन्होंने याद करते हुए कहा, ’24 फरवरी 2002 को मैं पहली बार विधायक बना। 27 फरवरी को मैं पहली बार विधानसभा गया था। मैं विधायक के तौर पर तीन दिन का था और गोधरा कांड हुआ। मैं बेचैन था, मैं चिंतित था, मैं सदन में था। मैंने कहा कि मैं गोधरा जाना चाहता हूं। मैंने सुझाव दिया कि हम वडोदरा जाएंगे और वहां से हेलीकॉप्टर लेंगे। उन्होंने कहा कि कोई हेलीकॉप्टर नहीं है और मैंने उन्हें एक हेलीकॉप्टर खोजने के लिए कहा …।’
उन्होंने कहा कि ओएनजीसी का एक हेलीकॉप्टर उपलब्ध था, लेकिन वह एकल इंजन वाला था।
मोदी ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि इसमें वीआईपी नहीं जा सकते लेकिन उन्होंने उन सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वह कोई वीआईपी नहीं बल्कि एक आम आदमी हैं।
फिर मोदी ने कहा, ‘मैं एक इंजन वाले हेलीकॉप्टर से जाऊंगा… और मैं गोधरा पहुंच गया।’ उन्होंने बताया कि वहां के दृश्य दर्दनाक थें, हर जगह लाशें थीं।
उन्होंने कहा, ‘लेकिन मुझे पता था कि मैं ऐसे पद पर हूं जहां मुझे अपनी भावनाओं से ऊपर उठना है। मैंने खुद को नियंत्रित रखने की कोशिश की।’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह सबसे खराब स्थिति (जीवन की) के बारे में सोचते हैं, मोदी ने कहा, ‘‘मैंने कभी जीवन या मृत्यु के बारे में नहीं सोचा, जो लोग सोच-समझकर जिंदगी जीते हैं, उन्हें ऐसा लग सकता है। जब मैं मुख्यमंत्री बना तो हैरान था कि मैं मुख्यमंत्री कैसे बन गया। मेरी पृष्ठभूमि ऐसी है कि अगर मैं प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बन गया होता, तो मेरी मां पड़ोस में गुड़ बांटती।’
भाषा ब्रजेन्द्र अविनाश
अविनाश
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