प्रधानमंत्री का भाईचारे का संदेश लेकर अजमेर दरगाह जा रहा हूं: रीजीजू |

प्रधानमंत्री का भाईचारे का संदेश लेकर अजमेर दरगाह जा रहा हूं: रीजीजू

प्रधानमंत्री का भाईचारे का संदेश लेकर अजमेर दरगाह जा रहा हूं: रीजीजू

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Modified Date: January 4, 2025 / 11:47 AM IST
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Published Date: January 4, 2025 11:47 am IST

जयपुर, चार जनवरी (भाषा) केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भेजी गई चादर चढ़ाने के लिए शनिवार को जयपुर से अजमेर दरगाह रवाना हुए।

रीजीजू ने सड़क मार्ग से अजमेर रवाना होने से पहले यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का संदेश है कि देश को भाईचारे के साथ और एकजुट रहना चाहिए तथा साथ मिलकर काम करना चाहिए।…मैं इसी संदेश के साथ अजमेर दरगाह जा रहा हूं।’’

हवाई अड्डे पर भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के राज्य नेताओं ने उनका स्वागत किया।

मंत्री सूफी संत की दरगाह पर चादर चढ़ाएंगे और प्रधानमंत्री मोदी का संदेश पढ़ेंगे।

उन्होंने जयपुर हवाई अड्डा पहुंचने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘उर्स के इस पावन अवसर पर हम चाहते हैं कि देश में अच्छा माहौल बने। कोई भी ऐसा काम न करे जिससे हमारे देश का सौहार्द बिगड़े।’’

रीजीजू ने कहा कि दरगाह पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध या जैन सभी का स्वागत है।

मंत्री ने कहा कि दरगाह पर लाखों लोग आते हैं और लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए तथा वहां प्रक्रिया सरल होनी चाहिए।

दरगाह का निर्माण शिव मंदिर के ऊपर किए जाने का दावा करने वाली याचिका के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘‘मैं सिर्फ चादर चढ़ाने आया हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां किसी को कुछ दिखाने या बताने नहीं आया हूं। मैं देश के लिए (प्रधानमंत्री का) संदेश लेकर जा रहा हूं कि हमारे देश में सभी लोग सकुशल रहें।’’

अजमेर की एक अदालत ने नवंबर में यह याचिका स्वीकार की थी जिसमें दावा किया गया है कि दरगाह का निर्माण शिव मंदिर के ऊपर किया गया था और अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी किए थे।

याचिकाकर्ता एवं हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अनुरोध किया था कि प्रधानमंत्री इस बार चादर न भेजें।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की बरसी पर अजमेर दरगाह पर ‘उर्स’ का आयोजन किया जाता है। प्रधानमंत्री हर साल दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं।

भाषा कुंज सिम्मी

सिम्मी

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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