कलबुर्गी (कर्नाटक), दो फरवरी (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के राजनीतिक सलाहकार पद से इस्तीफा देने वाले आलंद क्षेत्र के कांग्रेस विधायक बी आर पाटिल ने रविवार को दावा किया कि अन्य विधायकों की तरह उन्हें भी चुनाव पूर्व गारंटी योजनाओं के कारण अनुदान नहीं मिल रहा है।
पाटिल ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने बेंगलुरु में मुख्यमंत्री कार्यालय को अपना इस्तीफा सौंपा।
कांग्रेस सरकार ने 2024-25 के बजट में इन पांचों गारंटियों के लिए 52,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए थे। पार्टी सूत्रों का हालांकि कहना है कि नवंबर तक ही इन गारंटियों पर खर्च बजटीय आवंटन से कहीं ज्यादा हो चुका था।
पाटिल ने कलबुर्गी में संवाददाताओं से कहा, ‘‘समस्याएं हैं। मैंने बिना सोचे-समझे इस्तीफा नहीं दिया। अगर मुख्यमंत्री मुझे आमंत्रित करते हैं तो मैं उनसे मिलूंगा और अपनी बात बताऊंगा।’’
उन्होंने कहा कि उन्होंने सिद्धरमैया को दो बार पत्र लिखा था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन वह भी एमयूडीए घोटाले और राज्य बजट की तैयारी के कारण दबाव में हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं अंत तक एक घनिष्ठ मित्र की तरह उनके साथ रहूंगा।’’
जब पाटिल से उनके इस्तीफे का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ भी करने या अन्य मुद्दों का समाधान करने में असमर्थ हैं।
उन्होंने कहा कि यह महसूस करते हुए कि राजनीतिक सलाहकार के पद पर उनके बने रहने का कोई ‘‘औचित्य नहीं’’ है, उन्होंने पद छोड़ने का निर्णय लिया।
इस सवाल पर कि क्या अनुदान ही प्राथमिक कारण है, उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुदान के साथ-साथ अन्य मुद्दे भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘गारंटियों के कारण हमें अनुदान नहीं मिल रहा है। मैं प्रभावित होने वाला अकेला व्यक्ति नहीं हूं – राज्यभर में कई अन्य विधायक भी निधि से वंचित हैं।’’
किसी बड़े पद पर नजर रखने की अटकलों को खारिज करते हुए पाटिल ने कहा कि वह ‘‘ब्लैकमेल करने वाले राजनीतिज्ञ नहीं हैं।’’
उन्होंने चार बार विधायक और दो बार विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के रूप में कार्य करने के लिए आभार व्यक्त करते हुए यह भी घोषणा की कि वह भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगे।
पाटिल ने कहा, ‘‘मेरे इस्तीफे में कुछ खास बात नहीं है। मैंने बहुत पहले ही इस्तीफा देने का फैसला कर लिया था। मैं लाभ के पद के मामले में अयोग्यता की तलवार के हटने का इंतजार कर रहा था। एक बार जब यह हो गया, तो मैंने इस्तीफा दे दिया।’’
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश
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