चेन्नई में तटों पर सैकड़ों समुद्री कछुए मृत मिलने से चिंता बढ़ी |

चेन्नई में तटों पर सैकड़ों समुद्री कछुए मृत मिलने से चिंता बढ़ी

चेन्नई में तटों पर सैकड़ों समुद्री कछुए मृत मिलने से चिंता बढ़ी

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Modified Date: January 27, 2025 / 07:33 PM IST
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Published Date: January 27, 2025 7:33 pm IST

चेन्नई, 27 जनवरी (भाषा) चेन्नई के तटों पर पिछले कुछ दिन में सैकड़ों समुद्री कछुए (ओलिव रिडले) मृत पाए गए हैं जिससे पर्यावरणविद् चिंतित हैं।

कोवलम समुद्र तट पर कम से कम 60 कछुए मृत पाए गए हैं।

प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, नीलंकरई से उथंडी और आलमपाराइकुप्पम तक लगभग 500 कछुए मृत मिले हैं और मरीना और बेसेंट नगर समुद्र तटों के बीच लगभग 400 कछुए मृत पाए गए हैं।

वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिन में तटों पर कम से कम एक हजार से ज्यादा कछुए मृत मिले हैं और यह बेहद चिंता की बात है।’’

कछुओं की मौत के सही कारण की जांच की जा रही है, लेकिन अंदेशा है कि मछुआरों की नौका के जाल की वजह से संभवत: उनकी मौत हुई होगी।

राज्य मत्स्य विभाग ने कासिमेदु और अन्य तटीय क्षेत्रों में ‘ट्रॉलर’ (मछुआरों की नौका) के संचालन की निगरानी के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं ताकि मौत के कारणों की पहचान की जा सके और किसी भी उल्लंघन के मामले में उचित कार्रवाई की जा रही है।

मुख्य सचिव एन मुरुगनंदम ने चेन्नई के तट पर समुद्री कछुओं की मौत के मुद्दे पर समीक्षा के लिए 21 जनवरी को एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।

इस बैठक में वन विभाग, मत्स्य पालन एवं भारतीय तटरक्षक बल के अधिकारियों ने हिस्सा लिया और सतर्कता बढ़ाने तथा समुद्री कछुओं के संरक्षण के प्रयासों को तेज करने का फैसला किया गया।

एक पर्यावरणविद् ने कहा कि मृत कछुओं की जांच करने पर इस बात का संकेत मिला है कि उनकी मौत डूबने के कारण हुई। उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह उनकी आंखें बाहर आ गई हैं और गर्दन फूल गई है उससे पता चलता है कि उनकी मौत डूबने से हुई है।’’

‘ट्री फाउंडेशन’ की प्रतिनिधि सुप्रजा धारिणी कहती हैं, ‘‘ओलिव रिडले कछुओं की आबादी पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उनके प्राकृतिक आवास नष्ट होने और मछली पकड़ने के जाल में फंसने के कारण उनकी संख्या में भारी गिरावट आई है।’’

इस बीच, ड्रोन परिचालन से जुड़ी संस्था ‘गरुड़ एयरोस्पेस’ ने कहा कि वह संकटग्रस्त कछुओं की रक्षा को लेकर शहर के तट पर निगरानी के लिए ड्रोन तैनात करने के वास्ते ‘ट्री फाउंडेशन’ और वन तथा मत्स्य पालन विभागों के साथ साझेदारी कर रही है।

भाषा खारी वैभव

वैभव

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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