Income Tax Returns: टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी खबर, ओल्ड टैक्स रिजीम को सेलेक्ट करने का ये है बेस्ट तरीका... | Filing ITR in old tax regime

Income Tax Returns: टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी खबर, ओल्ड टैक्स रिजीम को सेलेक्ट करने का ये है बेस्ट तरीका…

Filing ITR in old tax regime: टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी खबर, ओल्ड टैक्स रिजीम को सेलेक्ट करने का ये है बेस्ट तरीका...

Edited By :   Modified Date:  June 27, 2024 / 06:18 PM IST, Published Date : June 27, 2024/6:18 pm IST

Filing ITR in old tax regime: नई दिल्ली। अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय इन्वेस्टमेंट और हाउस रेंट अलाउंस सहित अन्य पर टैक्स छूट या कटौती का लाभ लेना चाहते हैं, तो ओल्ड टैक्स रिजीम में आपको कई फायदे​ मिल सकते हैं। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि इनकम टैक्स फाइल करने की अंत‍िम तारीख 31 जुलाई है। ऐसे में इनकम टैक्‍स र‍िटर्न फाइल करने से पहले आपको कुछ जरूरी बातें जान लेनी चाहिए।

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बता दें कि ई-फाइलिंग आईटीआर पहले से काफी आसान हो गया है, जिसे व्यक्ति घर बैठे ही आसानी से पूरा कर सकता है। आज की स्टोरी में हम आपको बताने वाले हैं कि नौकरीपेशा से लेकर कारोबारियों तक के लिए क्या नियम है और आप कैसे घर बैठे इसे अप्लाई कर सकते हैं? साथ में आज यह भी जानेंगे कि नई टैक्स रिजीम से पुराने में स्विच करने का विकल्प किन लोगों को मिलता है?

नौकरीपेशा लोगों के लिए नियम

नए नियमों के अनुसार, नौकरीपेशा टैक्सपेयर्स जब चाहे नई से पुरानी और पुरानी से नई टैक्स व्यवस्था का चयन कर सकते हैं। नई टैक्स व्यवस्था में दरें कम हैं, लेकिन इसे चुनने पर छूट और डिडक्शन नहीं मिलेगा। नियमों के अनुसार नौकरीपेशा और पेंशनर तभी नई से पुरानी और पुरानी व्यपवस्था में जा पाएंगे जब जब उनकी बिजनेस इनकम न हो।

वहीं कंसल्टेंसी से पैसा कमाने वाले टैक्सपेयर्स की इनकम बिजनेस के तहत आती है। यह सैलरी से इनकम की कैटेगरी में नहीं आती है। लोग कंसल्टेंट के रूप में काम करते हैं उन्हें हर साल नई से पुरानी और पुरानी से नई व्यवस्था में स्विच करने की परमीशन नहीं है। नौकरीपेशा और पेंशनर के विपरीत ऐसे सैलरीड टैक्सपेयर्स जिनकी फ्रीलांस एक्टीविटीज से भी इनकम होती है उनके पास हर साल स्विच करने का ऑप्शन नहीं है।

कारोबारियों के पास एक बार मौका

Filing ITR in old tax regime: बिजनेस से इनकम करने वाले टैक्सपेयर्स के पास नई या पुरानी व्यवस्था में किसी एक को चुनने का सिर्फ एक मौका होगा। आसान भाषा में कहें तो कारोबारी इस बार नई व्यवस्था के टैक्स देते हैं और उसके अगले साल पुरानी व्यवस्था में लौटते हैं तो फिर वो चेंज नहीं कर पाएंगे। अगर किसी व्यक्ति की भविष्य में बिजनेस से इनकम रुक जाती है तो उनके पास हर साल नई और पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था को चुनने का विकल्प रहेगा।

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क्या है पूरा प्रोसेस?

स्टेप 1 – आयकर ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाएं।
स्टेप 2 – वेबसाइट पर अपना पैन कार्ड और पासवर्ड यूज कर लॉग इन करें।
स्टेप 3 – उसके बाद स्क्रीन पर दिख रहे फाइल नाउ के ऑप्शन पर क्लिक करें। फिर आपको ओल्ड और न्यू में से किसी एक को सेलेक्ट करने का ऑप्शन मिलेगा।
स्टेप 4 – क्लिक करने के बाद आपसे असेसमेंट ईयर सेलेक्ट करने को कहा जाएगा। ठीक उसके नीचे आपको ऑनलाइन का ऑप्शन दिखेगा उसे टिक कर दें।
स्टेप 5 – उसके बाद स्टार्ट न्यू फाइलिंग पर क्लिक करें। क्लिक करते ही इंडिविजुअल का ऑप्शन मिलेगा।
स्टेप 6 – फिर आपके सामने आईटीआर 1 से 7 तक का ऑप्शन दिखेगा, जिसमें आप एक से चार तक का यूज कर सकते हैं. अगर आप नौकरीपेशा हैं तो आईटीआर-1 सेलेक्ट करें।
स्टेप 7 – फिर आगे बढ़ें और जरूरी डिटेल जो फॉर्म-16 में दिया गया है। मैच करते हुए सबमिट कर दें।
स्टेप 9 – आपको लास्ट में एक समरी दिखेगी, जिसमें आपके द्वारा दी गई सभी डिटेल होंगी।
स्टेप 10 – वेरिफिकेशन के लिए आगे बढ़ें।
स्टेप 11 – उसके बाद आपका आईटीआर फाइल हो जाएगा।

 

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