जम्मू, नौ जनवरी (भाषा) मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र-शासित प्रदेश का दर्जा स्थायी नहीं है और केंद्र सरकार उसका राज्य का दर्जा बहाल करने का अपना वादा पूरा करेगी।
उमर ने कहा कि किसी राज्य की विधानसभा और केंद्र-शासित प्रदेश की विधानसभा के नियमों और सीमाओं के बीच के अंतर को समझने की जरूरत है। उन्होंने नये विधायकों से राज्य का दर्जा बहाल होने तक केंद्र-शासित प्रदेश की विधानसभा में अपनी भूमिका को स्वीकार करने का आग्रह किया।
जम्मू में विधायकों के लिए आयोजित ‘परिचय कार्यक्रम’ में मुख्यमंत्री ने कहा, “केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से वादा किया है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि वे अपनी बात पर कायम रहेंगे।”
उमर ने विधायकों के केंद्र-शासित प्रदेश की विधानसभा में काम करने की अनूठी चुनौतियों के हिसाब से ढलने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने नये और अनुभवी दोनों विधायकों के लिए ‘परिचय कार्यक्रम’ आयोजित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर की तारीफ की।
उमर ने कहा, “मैं विभिन्न पदों के लिए छह बार चुना गया हूं-तीन बार संसद के लिए और तीन बार विधानसभा के लिए। लेकिन यह पहली बार है, जब मैं इस तरह के ‘परिचय कार्यक्रम’ में शामिल हो रहा हूं।”
अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि एक सांसद के रूप में उनके शुरुआती वर्षों में मजबूत नींव का अभाव था।
उमर ने कहा, “अगर ऐसा कोई कार्यक्रम उस समय आयोजित किया गया होता, जब मैं पहली बार संसद के लिए चुना गया था, तो मैं बेहतर तरीके से तैयार होता। आज भी, मैं कई साल बिताने के बावजूद आत्मविश्वास से यह नहीं बता सकता कि निजी सदस्य का विधेयक कैसे पेश किया जाए या नियम-377 के तहत कोई मुद्दा कैसे उठाया जाए।”
भाषा पारुल प्रशांत
प्रशांत
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