चेन्नई, 18 जनवरी (भाषा) द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के वरिष्ठ नेता और तमिलनाडु के वन मंत्री के पोनमुडी ने शनिवार को कहा कि केंद्र की ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की पहल ‘असंवैधानिक’ है और इसे राजनीतिक मकसद से लाया जा रहा है।
यहां शुरू हुए द्रमुक की कानूनी इकाई के तीसरे राज्य सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सम्मेलन में मंत्री ने कहा,“यह कदम असंवैधानिक है और राजनीतिक मकसद से उठाया जा रहा है।”
एक साथ चुनाव कराने के कदम को विधानसभाओं के पांच वर्ष के कार्यकाल को समाप्त करने तथा राज्यों को केंद्र शासित प्रदेशों में छोटा करने का प्रयास बताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि एक राष्ट्र, एक चुनाव कानून लागू किया गया तो राज्य तस्वीर में बिल्कुल ही नहीं रहेंगे।
सिब्बल ने इस विषय पर एक चर्चा के दौरान कहा, “यह हमारे देश के संघीय ढांचे को नष्ट कर देगा। संविधान की प्रस्तावना कहती है कि भारत राज्यों का संघ है। आपने राज्यों को छोटा कर दिया है, आप राज्य के मूल ढांचे को नष्ट कर रहे हैं, और एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक भाषा, राजनीतिक दल, एक धर्म की कोशिश कर रहे हैं।”
सिब्बल ने कहा, “यह कदम हमारे गणतंत्र के लोकतांत्रिक कामकाज के सार को नष्ट करने के बराबर है। इस पर राष्ट्रीय बहस के बिना ही इसके समर्थक इस विचार का समर्थन कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि भारत और तमिलनाडु के लोग इसे बर्दाश्त करेंगे।” उन्होंने दावा किया कि इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य राज्य-विशिष्ट मुद्दे भी प्रभावित होंगे।
पूर्व सांसद टी के एस इलनगोवन के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अगर यह कानून बन गया तो 17 राज्यों का पांच साल का कार्यकाल कम हो जाएगा। लेकिन उन्होंने कहा कि पांच साल का कार्यकाल संविधान की मूल विशेषता है।
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस.वाई. कुरैशी ने ‘बड़ी चिंता के साथ’ कहा कि कश्मीर में जो हुआ, वह कहीं भी हो सकता है। उन्होंने पूछा, “एक झटके में कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया। क्या वे कल तमिलनाडु के साथ भी ऐसा नहीं कर सकते?”
वरिष्ठ पत्रकार एन. राम ने कहा कि केंद्र के प्रयास को ‘हिंदुत्व अधिनायकवाद’ के व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए और यह भी कि भाजपा सरकार ने संस्थाओं और नागरिकों की स्वतंत्रता के साथ क्या किया है और क्या कर रही है।
केंद्र की ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पहल पर परिचर्चा के दौरान राम ने कहा, “यह भारत और भारत की सभ्यता की विविधता और बहुलवाद पर हमला है क्योंकि हम बहु-सांस्कृतिक, बहु-जातीय और सब कुछ-बहु वाले हैं। यह संघवाद पर हमला है। भारत की विविधता और बहुलवाद को नष्ट करने के लिए इस योजना पर काम किया जा रहा है।”
एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव चक्रों को मिलाने का प्रस्ताव है। केंद्र ने कहा था कि इससे मतदाताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही दिन दोनों स्तरों की सरकारों के लिए मतदान करने की सुविधा मिलेगी, हालांकि देश भर में मतदान अब भी चरणों में हो सकता है।
इसमें कहा गया है कि इन चुनावी समयसीमाओं को समकालिक बनाकर, इस दृष्टिकोण का उद्देश्य साजो-सामान संबंधी चुनौतियों का समाधान करना, लागत कम करना और बार-बार होने वाले चुनावों के कारण आने वाले व्यवधानों को न्यूनतम करना है।
भाषा प्रशांत माधव
माधव
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