जम्मू, 11 जनवरी (भाषा) पंचायत चुनाव कराने में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कॉन्फ्रेंस’ (एजेकेपीसी) ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से कहा कि वह 90 दिन के भीतर चुनाव कराए या फिर आंदोलन का सामना करने को तैयार रहे।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले साल नवंबर में लोगों को आश्वासन दिया था कि पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के चुनाव जल्द होंगे। ये चुनाव पिछली बार 2018 में हुए थे।
पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों ने एक वर्ष से अधिक समय पहले अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। परिसीमन प्रक्रिया और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए वार्डों के आरक्षण सहित विभिन्न कारणों से चुनाव समय पर नहीं हो सके।
एजेकेपीसी के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा, ‘‘मुद्दा (पंचायत चुनाव कराने का) अत्यावश्यक है, क्योंकि पंचायतें स्थानीय शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनकी लंबे समय तक निष्क्रियता ने विकास में बाधा उत्पन्न की है और ग्रामीण निवासियों को उचित प्रतिनिधित्व या अपनी चिंताओं को व्यक्त करने का कोई रास्ता नहीं मिला है।’’
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने और शासन में सुधार के लिए समय पर चुनाव कराना और सीमाओं को फिर से परिभाषित करना आवश्यक है।
जम्मू-कश्मीर में पंचायतों का कार्यकाल 9 जनवरी 2024 को समाप्त हो गया था। जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक आदेश के माध्यम से खंड विकास अधिकारियों को पंचायतों के प्रशासक के रूप में नियुक्त किया है।
शर्मा ने कहा, ‘‘एक साल से अधिक समय से पंचायती राज संस्थाएं निष्क्रिय हैं और चुनाव कराने के लिए सरकार द्वारा कोई ईमानदार प्रयास नहीं किया गया है। यहां तक कि राज्य निर्वाचन आयोग भी इस मामले पर चुप नजर आ रहा है।’
सरकार और निर्वाचन आयोग को आगाह करते हुए शर्मा ने कहा, ‘‘अगर 90 दिन के भीतर पंचायतों के चुनाव नहीं हुए, तो एजेकेपीसी बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करेगी।’’
उन्होंने यह भी कहा कि एजेकेपीसी के पदाधिकारी जल्द ही उपराज्यपाल सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और राज्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात कर तत्काल कार्रवाई की मांग पर जोर देंगे।
भाषा नेत्रपाल पारुल
पारुल
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