HC on Hindu marriage

हिंदू विवाह को अनुबंध की तरह भंग नहीं किया जा सकता, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला

HC on Hindu marriage: हिंदू विवाह को अनुबंध की तरह भंग नहीं किया जा सकता : इलाहाबाद उच्च न्यायालय

Edited By :   Modified Date:  September 14, 2024 / 08:44 PM IST, Published Date : September 14, 2024/7:09 pm IST

प्रयागराज: prayagraj HC on Hindu marriage इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि एक हिंदू विवाह को अनुबंध की तरह भंग नहीं किया जा सकता। शास्त्र सम्मत विधि आधारित हिंदू विवाह को सीमित परिस्थितियों में ही भंग किया जा सकता है और वह भी संबंधित पक्षों द्वारा पेश साक्ष्यों के आधार पर।

न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति दोनाडी रमेश की पीठ ने विवाह को भंग किए जाने के खिलाफ एक महिला की अपील स्वीकार करते हुए कहा, “पारस्परिक सहमति के बल पर तलाक मंजूर करते समय भी निचली अदालत को तभी विवाह भंग करना चाहिए था जब आदेश पारित करने की तिथि को वह पारस्परिक सहमति बनी रही।”

अदालत ने कहा, ‘‘यदि अपीलकर्ता का दावा है कि उसने अपनी सहमति वापस ले ली है और इस तथ्य को रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया है तो निचली अदालत अपीलकर्ता को मूल सहमति पर कायम रहने के लिए बाध्य नहीं कर सकती।’’ पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा करना न्याय का उपहास होगा।’’

read more: ‘‘चिकित्सा बिरादरी में संदेह के बीज बोने के लिए’’ विरोध स्थल गईं ममता : भाजपा

महिला ने 2011 में बुलंदशहर के अपर जिला जज द्वारा पारित निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी। अपर जिला जज ने महिला के पति की ओर से दाखिल तलाक की अर्जी मंजूर कर ली थी।

संबंधित पक्षों का विवाह दो फरवरी, 2006 में हुआ था। उस समय, पति भारतीय सेना में कार्यरत था। पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी 2007 में उसे छोड़ कर चली गई और उसने 2008 में विवाह भंग करने के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की।

पत्नी ने अपना लिखित बयान दर्ज कराया और कहा कि वह अपने पिता के साथ रह रही है। मध्यस्थता की प्रक्रिया के दौरान, पति, पत्नी ने एक दूसरे से अलग रहने की इच्छा जताई। हालांकि, वाद लंबित रहने के दौरान पत्नी ने अपना विचार बदल लिया और अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया जिसके बाद दूसरी बार मध्यस्थता की गई, लेकिन पति द्वारा पत्नी को साथ रखने से इनकार करने की वजह से यह मध्यस्थता भी विफल रही।

read more:  New guidelines for DJ: तेज आवाज में DJ बजाया तो अब खैर नहीं! न्यायालय से आदेश के बाद प्रशासन सख्त, कलेक्टर ने बुलाई बैठक 

हालांकि, सेना के अधिकारियों के समक्ष मध्यस्थता में पति पत्नी साथ रहने को राजी हो गए और इस दौरान इनके दो बच्चे भी हुए।

महिला के वकील महेश शर्मा ने दलील दी कि ये सभी दस्तावेज और घटनाक्रम, तलाक के मुकदमे की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष लाए गए, लेकिन निचली अदालत ने महिला की ओर से दाखिल प्रथम लिखित बयान के आधार पर तलाक की याचिका मंजूर कर ली।

read more: पीएसपीबी, आरएसपीबी सीनियर पुरुष अंतर-विभागीय हॉकी चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचे

 

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)