बेंगलुरु, 27 मार्च (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने नागरिक प्रक्रिया संहिता के तहत एक आवेदन पर निर्णय लेते समय सर्वोच्च न्यायालय के ऐसे फैसलों का हवाला देने जिनका कोई वजूद ही नहीं है, के लिए शहर की एक दीवानी अदालत के न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है ।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर देवदास ने 24 मार्च को जारी एक आदेश में न्यायाधीश के आचरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मामले में आगे की जांच की आवश्यकता है।
आदेश में कहा गया है, ‘‘इससे भी अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि शहर की दीवानी अदालत के विद्वान न्यायाधीश ने दो ऐसे निर्णयों का हवाला दिया जो सर्वोच्च न्यायालय या किसी अन्य न्यायालय द्वारा कभी सुनाए ही नहीं गए।’’
वादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे निर्णयों का हवाला वादी के वकील द्वारा नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के इस कृत्य की आगे की जांच और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की आवश्यकता है।
यह मामला एक वाणिज्यिक विवाद में दीवानी न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली एक पुनर्विचार याचिका पर आधारित है।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील प्रभुलिंग नवदगी ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने केवल उन निर्णयों का हवाला देकर उनके आवेदन को खारिज कर दिया था जो अस्तित्व में ही नहीं हैं।
नवदगी ने जनवरी में उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उद्धृत निर्णय ‘धोखे से गढ़े गए’ प्रतीत होते हैं, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट या किसी अन्य कानूनी डेटाबेस पर उनका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं पाया गया।’’
इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय ने आदेश दिया, ‘‘न्यायाधीश के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए इस आदेश की एक प्रति मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखी जाएगी।’’
प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील श्याम सुंदर और अधिवक्ता बी के एस संजय ने किया।
भाषा संतोष शोभना
शोभना
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