भुवनेश्वर: Husband’s Potency Test हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के तलाक के मामले में मर्दानगी जांच करवाने का फैसला सुनया है। मामले में कोर्ट ने पति और उसके परिवार की ओर दायर मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने के परिवार अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट का फैसला आने के बाद हर कोई हैरान है।
Husband’s Potency Test दरअसल एक महिला ने अपने पति को नामर्द बताते हुए तलाक की याचिका लगाई थी, जिसकी सुनवाई करते हुए परिवार अदालत ने मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होकर मर्दानगी जांच करवाने आदेश दिया था। परिवार अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए महिला के पति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पत्नी ने परिवार अदालत में पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि उसका पति मर्दानगी से संबंधित बीमारी से पीड़ित था और इसके लिए भुवनेश्वर में उसका इलाज चल रहा था। बयान के दौरान, उन्होंने यह भी कहा कि पति ने एम्स, भुवनेश्वर में सभी परीक्षणों का सामना किया था। पति के सामान्य होने के संदर्भ में डाक्टर रिपोर्ट दिए थे और इस संदर्भ में पत्नी को पता था। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि परिवार अदालत के आदेशानुसार पति और एक बार मर्दानगी टेस्ट कराने से क्यों डर रहा है।
पत्नी ने पति के मर्दानगी को कारण बताते हुए परिवार अदालत में तलाक की याचिका दायर की है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर पति का एक बार और मर्दानगी परीक्षण होता है तो इस मामले के बारे में तथ्य इस संबंध में अदालत और पक्षकारों को स्पष्ट किया जाएगा। ऐसे में हाईकोर्ट ने कहा है कि परिवार अदालत द्वारा याचिकाकर्ता पति को मर्दानगी परीक्षण कराने का जो निर्देश दिया गया है, उसमें कुछ भी गलत नहीं है। उच्च न्यायालय ने मर्दानगी परीक्षण के संबंध में परिवार अदालत के आदेश के खिलाफ पति द्वारा दायर याचिका को भी खारिज कर दिया।
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