संजीवनी मामले में शेखावत को उच्च न्यायालय से राहत; प्राथमिकी रद्द करने संबंधी याचिका का निपटारा |

संजीवनी मामले में शेखावत को उच्च न्यायालय से राहत; प्राथमिकी रद्द करने संबंधी याचिका का निपटारा

संजीवनी मामले में शेखावत को उच्च न्यायालय से राहत; प्राथमिकी रद्द करने संबंधी याचिका का निपटारा

:   Modified Date:  September 25, 2024 / 10:45 PM IST, Published Date : September 25, 2024/10:45 pm IST

जोधपुर, 25 सितंबर (भाषा) राजस्थान उच्च न्यायालय ने संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को बुधवार को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने संबंधी याचिका का निपटारा कर दिया।

उच्च न्यायालय ने शेखावत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने वाले विशेष अभियान समूह (एसओजी) द्वारा अदालत में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद याचिका के निपटारे का आदेश पारित किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले में शेखावत के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

न्यायमूर्ति अरुण मोंगा ने अपने आदेश में कहा कि यदि एसओजी को इस घोटाले में किसी भी स्तर पर शेखावत की संलिप्तता नहीं मिली है तो इस याचिका को बनाए रखने का कोई मतलब नहीं है।

शेखावत के वकील आदित्य विक्रम सिंह ने कहा कि इस रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि न तो उनका नाम प्राथमिकी में और न ही किसी आरोप-पत्र में है। साथ उन्हें संदिग्ध भी नहीं माना गया है।

अदालत ने 17 सितंबर को एसओजी को इस सवाल का जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था कि क्या वह शेखावत के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करने का इरादा रखता है।

एसओजी ने बुधवार को अदालत में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें कहा गया कि शेखावत के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

हालांकि शेखावत को घोटाले में नामजद किया गया था और उन्हें कुछ कंपनियों में निदेशक के पद पर आसीन बताया गया था, लेकिन एसओजी ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने इन सभी कंपनियों के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था, इसलिए कंपनियों में निदेशक के पद से इस्तीफा देने के बाद के कार्यों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

अधिवक्ता आदित्य विक्रम सिंह ने कहा कि एसओजी की इस दलील के आधार पर अदालत ने आदेश पारित करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता शेखावत के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता।

इस बीच, शेखावत ने उच्च न्यायालय के आदेश को ‘सत्य की जीत’ करार दिया और कहा कि यह उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और मामले में उन्हें फंसाने का एक प्रयास मात्र था।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिये बगैर उन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘यह उनकी (गहलोत की) राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं, चुनाव में अपने बेटे की हार और भाजपा की जीत से उत्पन्न हताशा के कारण मुझे इस मामले में घसीटने का एक प्रयास था।’

भाषा सुरेश वैभव

वैभव

 

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