दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी की याचिका पर सुनवाई कल तक के लिए टल गई है। सुनवाई के अंतिम समय में आज कोर्ट ने कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा अगर विधायक कल आपके सामने पेश होते हैं, तो क्या आप इनका इस्तीफा स्वीकार करेंगे? जिसपर बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह इसका विरोध करते हुए कहा कि हम स्पीकर के सामने पेश नहीं हो सकते, हमारी सुरक्षा को खतरा है।
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इसके पहले बीजेपी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पीकर की ओर से पक्ष रखते हुए कोर्ट में कहा कि अहम बात ये है कि ये कोई नई विधानसभा नहीं है, 18 महीने से ये सरकार वजूद में है और इस कोर्ट को विधानसभा की कार्यवाही संचालन के स्पीकर के अधिकार में कोई दखल नहीं देना चाहिए और बिना विधानसभा के नियमों की तह में जाये गवर्नर कैसे स्पीकर के अधिकार में दखल दे सकता हैं? उन्होने आगे कहा कि अगर गवर्नर का ऐसे ही दखल जारी रहा तो फिर तो कोई भी विधानसभा काम नहीं कर पायेगी। इस सरकार के खिलाफ 3 अविश्वास प्रस्ताव पहले ही फेल हो चुके हैं।
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आज सुप्रीम कोर्ट में बेंगलुरू में ठहरे बागी विधायकों की ओर से वकील मनिंदर सिंह ने विधायकों का पक्ष रखा, उन्होने कहा कि सभी 22 विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि वो अपनी मर्जी से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने बकायदा हलफनामा दाखिल किए हैं, हम सबूत के तौर पर कोर्ट में CD जमा करने के लिए तैयार हैं। विधायकों के वकील ने कहा कि विधायकों का कहना है कि जब हम भोपाल में आकर कांग्रेस से मिलना ही नहीं चाहते तो हमे इसके लिए कांग्रेस द्वारा हमे कैसे मज़बूर किया जा सकता है?
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आज कोर्ट में BJP के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेजने से पहले राज्यपाल को सभी संभावित विकल्पों पर विचार करना होता है। जस्टिस चन्द्रचूड ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सवाल यह है कि क्या कोर्ट विधायकों को भोपाल आने को कह सकता है? हम यही कर सकते हैं कि देखें कि वह लोग स्वतंत्र निर्णय ले पा रहे हैं या नहीं। जिस पर बीजेपी के वकील रोहतगी ने कहा एक वीडियो सामने है जिसमें विधायक कह रहे हैं कि उन पर कोई दबाव नहीं है, वह अपनी मर्ज़ी से बंगलुरू में हैं, अगर कोई सरकार फ्लोर टेस्ट से बच रहा हो तो यह साफ संकेत है कि सरकार बहुमत खो चुकी है। राज्यपाल को बागी विधायकों की चिट्ठी मिली थी, उन्होंने सरकार को फ्लोर पर जाने के लिए कह के वही किया जो उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी है।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम कैसे तय करें कि विधायकों ने जो हलफनामे दिए हैं वो हलफनामे मर्जी से दिए गए है या नहीं? कोर्ट TV पर कुछ देख कर तय नहीं कर सकता। उन्होने कहा कि हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि विधायक दबाव में हैं या नहीं। वहीं बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट की सन्तुष्टि के लिए इन विधायकों की जज के चैम्बर में परेड कराई जा सकती है, कर्नाटक HC के रजिस्ट्रार जनरल उनसे मिलकर वीडियो बना सकते हैं, जिसके बाद जजों ने इससे भी इंकार कर दिया है।
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