उच्च न्यायालय ने भेदभाव मामले में आईआईएमबी संकाय के खिलाफ कार्यवाही रोकी |

उच्च न्यायालय ने भेदभाव मामले में आईआईएमबी संकाय के खिलाफ कार्यवाही रोकी

उच्च न्यायालय ने भेदभाव मामले में आईआईएमबी संकाय के खिलाफ कार्यवाही रोकी

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Modified Date: December 31, 2024 / 12:11 PM IST
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Published Date: December 31, 2024 12:11 pm IST

बेंगलुरु, 31 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने नागरिक अधिकार प्रवर्तन निदेशालय (डीसीआरई) प्रकोष्ठ के नोटिस के बाद भारतीय प्रबंधन संस्थान बेंगलुरु (आईआईएमबी) के अधिकारियों और संकाय सदस्यों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है।

यह नोटिस आईआईएमबी के एसोसिएट प्रोफेसर गोपाल दास की शिकायत के बाद दिया गया था। दास ने संस्थान में जाति के आधार पर उनसे भेदभाव किए जाने का आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर ने हाल में सुनाए अपने आदेश में स्पष्ट किया कि डीसीआरई को फर्जी जाति प्रमाण पत्र के दावों के संबंध में कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने का अधिकार उसके पास नहीं है।

अदालत ने कहा, ‘‘कर्नाटक एससी (अनुसूचित जाति), एसटी (अनुसूचित जनजाति) और अन्य पिछड़ा वर्ग (नियुक्ति में आरक्षण, आदि) नियम, 1992 की धारा सात (ए) के तहत डीसीआरई प्रकोष्ठ को धोखाधड़ी से जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के मामलों में व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार है लेकिन उसे एससी/एसटी समुदाय के सदस्यों के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायतों की जांच करने का अधिकार नहीं है।’’

नोटिस को डीसीआरई के अधिकार क्षेत्र से बाहर पाते हुए अदालत ने आईआईएमबी के निदेशक प्रोफेसर ऋषिकेश टी कृष्णन और संकाय सदस्यों प्रोफेसर दिनेश कुमार, श्रीलता जोनालागड्डा, प्रोफेसर राहुल डे, प्रोफेसर आशीष मिश्रा और प्रोफेसर चेतन सुब्रमण्यम सहित सभी याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत प्रदान की।

मामले में आगे की सुनवाई जनवरी, 2025 के दूसरे सप्ताह में होगी।

एसोसिएट प्रोफेसर की शिकायत के आधार पर इस महीने आईआईएमबी के निदेशक और अन्य संकाय सदस्यों के खिलाफ मीको लेआउट पुलिस थाने में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया था।

पुलिस के अनुसार, दास ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि आठ लोगों ने कार्यस्थल पर उनकी जाति का जानबूझकर खुलासा किया और उन्हें समान अवसर से वंचित किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें धमकाया गया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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