उच्च न्यायालय का कैग रिपोर्ट पेश करने के लिए विस बैठक बुलाने का निर्देश देने से इनकार किया |

उच्च न्यायालय का कैग रिपोर्ट पेश करने के लिए विस बैठक बुलाने का निर्देश देने से इनकार किया

उच्च न्यायालय का कैग रिपोर्ट पेश करने के लिए विस बैठक बुलाने का निर्देश देने से इनकार किया

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Modified Date: January 24, 2025 / 09:06 PM IST
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Published Date: January 24, 2025 9:06 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने राज्य विधानसभा में कैग रिपोर्ट पेश करने में ‘‘अत्यधिक देरी’’ की है, लेकिन विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया और कहा कि चुनाव से कुछ दिन पहले विशेष बैठक बुलाना ‘‘अव्यावहारिक’’ है।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि ऑडिट रिपोर्ट पेश करना संविधान के तहत अनिवार्य है और उन्होंने निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार चुनाव के बाद इन रिपोर्टों को यथाशीघ्र विधानसभा में पेश करे।

अदालत ने कहा, ‘‘यह बिल्कुल स्पष्ट है कि विधानसभा के समक्ष कैग रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अपेक्षित कदम उठाने में प्रतिवादियों/दिल्ली सरकार की ओर से अत्यधिक विलंब हुआ है।’’

आदेश में कहा गया है, ‘‘ऐसी स्थिति में (जब मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है), विधानसभा की विशेष बैठक आयोजित करना अव्यावहारिक होगा… यह देखते हुए कि विधानसभा अपने वर्तमान कार्यकाल के अंतिम चरण में है, पीएसी (लोक लेखा समिति) द्वारा इस पर विचार अब नवनिर्वाचित विधानसभा की बैठक को फिर से बुलाए जाने के बाद ही होगा।’’

इसमें कहा गया है कि अदालत याचिकाकर्ताओं के इस अनुरोध को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है कि इस स्तर पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को आदेश जारी किया जाए।

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन ने पिछले साल याचिका दायर की थी और विधानसभा अध्यक्ष को कैग रिपोर्ट पेश करने के लिए सदन की बैठक बुलाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

अपने 31 पृष्ठ के फैसले में न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि सरकार उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद भी वर्तमान सत्र में विधानसभा के समक्ष सभी 14 कैग रिपोर्टों को रखने में तत्परता से काम करने में विफल रही।

अदालत ने निर्देश दिया कि चुनाव के बाद जब विधानसभा का गठन और सत्रावसान हो जाए, तो दिल्ली सरकार को प्रक्रियागत नियमों के तहत यथासंभव शीघ्रता से कैग रिपोर्ट पेश करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

अदालत ने स्पष्ट किया कि कैग रिपोर्ट को विधानसभा में रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार की है, अध्यक्ष की नहीं।

इसने कहा कि इसके अलावा प्रक्रिया नियमों के तहत, विधानसभा की बैठक बुलाने की शक्ति, जिसका सत्रावसान नहीं किया गया हो, पूरी तरह से अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में है और इसमें अदालत को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है।

याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ताओं नीरज और सत्य रंजन स्वैन के माध्यम से याचिका दायर की थी।

अध्यक्ष और सरकार के वरिष्ठ वकीलों ने अदालत द्वारा ऐसा निर्देश पारित करने का विरोध किया था और कहा था कि ऐसे समय में रिपोर्ट पेश करने की कोई जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए जब विधानसभा चुनाव जल्द ही होने वाले हैं।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में ‘आप’ के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की कुछ नीतियों की आलोचना की है, जिसमें कथित तौर पर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के कारण अब रद्द कर दी गई आबकारी नीति भी शामिल है।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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